कमाल करते हैं हमसे जलन रखने वालें,
महफिलें खुद की सजाते हैं,और चर्चे हमारे करते हैं।
लोग आपसे बिना कारण जलन करते हैं,
एक कारण ही दे दो उन्हें ईर्ष्या करने का।
ना जाने कौन सा नमक है इन आँखों के पानी में,
बरसती तो चेहरे से है और जलन दिल में होती है।
कलेजे में जलन, आंखों में पानी छोड़ जाती हो,
मगर उम्मीद की चुनर को धानी छोड़ जाती हो,
सताने कि तुम्हारी ये अदा भी कम नहीं जाना,
कि घर में अपनी कोई एक निशानी छोड़ जाती हो।
जलने जलाने का अंदाज बदल रखा है,
अपनी झोपड़ी का नाम राजमहल रखा है।
बाजार मे जीने का अलग ही मजा है,
लोग जलना नही छोड़ते और हम मुस्कुराना नही छोड़ते हैं।
जलने वाले भी गज़ब का प्यार करते हैं मुझसे,
जब भी मिलते है कहते हैं कि तुझे छोड़ेंगे नहीं।
मोह में हम बुराई नहीं देख पाते,
और जलन में हम अच्छाई नहीं देख पाते।
जलने वाले जलते है जब आपना नाम सुनते हैं,
नाम ही कुछ ऐसा है दुश्मन भी इज्जत करता है।