है मनाते दूसरो की हार का जश्न,
जित देख दूसरो की होती है जलन,
क्या यही हे आज के नए ज़माने का चलन।
हमें इतनी फुर्सत कहाँ की तकदीर का लिखा देखे,
बस लोगो की जलन देख कर समझ जाते है,
की हमारी तकदीर बुलंद है।
बाँये गाल को चूमती ज़ुल्फें,
दाँया गाल जलन से लाल हुआ जाए।
भगवान ने हमें खुशियाँ ही खुशियाँ दी हैं,
जलन और परेशानी हमारी अपनी खोज है।
अक्सर होती है लोगों को वफ़ा में जलन,
ये होती है क्यों दिल के मकां में जलन,
पता नहीं चलता परवाह भी होती है,
क्या बनाई है खुदा तूने ये इंसां में जलन।
हमसे जलने वाले जल-जल के काले हो गए,
उनकी बहन हमारी वाइफ और वो हमारे साले हो गए।
ना जाने कौन सा नमक है इन आँखों के पानी में,
बरसती तो चेहरे से है और जलन दिल में होती है।
अब तो इन आँखों से भी, जलन होती है मुझे,
खुली हो तो ख्याल तेरे, बंद हो तो ख़्वाब तेरे।
कलेजे में जलन, आंखों में पानी छोड़ जाती हो,
मगर उम्मीद की चुनर को धानी छोड़ जाती हो,
सताने कि तुम्हारी ये अदा भी कम नहीं जाना,
कि घर में अपनी कोई एक निशानी छोड़ जाती हो।
मोह में हम बुराई नहीं देख पाते,
और जलन में हम अच्छाई नहीं देख पाते।