अगर छू जाए मेरे गुलाब की खुशुबू आपको,
तो एतबार जरूर करना, हम से ना नहीं,
पर गुलाब से हमारे प्यार जरूर करना,
हम तो समझ जाएंगे आपकी आँखों को भी,
बस अपनी आँखों से ही इजहार जरूर करना।
ऐ हसीन, मेरा गुलाब कबूल कर,
हम तुमसे बेइन्तहा इश्क़ करते है,
अब नहीं इस ज़माने की परवाह हमको,
हम अपने इश्क़ का इज़हार करते है।
सोच रहे है तुमको अपना प्यार कैसे भेजे,
ढूंढ के लाया हूँ जो खुशबू वो उस पार कैसे भेजे,
सँजो के रखी है जो मोहब्बत अपनी इस गुलाब में
सोच रहे है वो गुलाब आपके पास कैसे भेजे।
अगर छू जाए मेरे गुलाब की खुशुबू आपको,
तो एतबार जरूर करना, हम से ना नहीं,
पर गुलाब से हमारे प्यार जरूर करना,
हम तो समझ जाएंगे आपकी आँखों को भी,
बस अपनी आँखों से ही इजहार जरूर करना।
मेरी दीवानगी की कोई हद नहीं,
तेरी सूरत के सिवा मुझे कुछ याद नहीं,
मैं गुलाब हूँ तेरे गुलशन का,
तेरे सिवाए मुझपर किसी का हक़ नहीं।
तुम्हारी अदा का क्या जवाब दूँ,
क्या प्यारा सा उपहार दूँ,
कोई तुमसे खुबसूरत गुलाब होता तो लाते,
जो खुद गुलाब है उसको क्या गुलाब दूँ।
प्यार के समुन्दर में सब डूबना चाहते है,
प्यार में कुछ खोते है तो कुछ पाते है,
प्यार तो एक गुलाब है जिसे सब तोडना चाहते है,
पर हम तो इस गुलाब को चूमना चाहते है।
तुम्हारी अदा का क्या जवाब दू,
क्या खूबसूरत सा उपहार दू,
कोई तुमसे प्यारा गुलाब होता तो लाते,
जो खुद गुलाब है उसको क्या गुलाब दू।
बीते साल के बाद फिर से रोज़ डे आया है,
मेरी आँखों में सिर्फ तेरा ही सुरूर छाया है,
जरा तुम आकर तो देखो
एक बार तुम्हारे इंतजार में पूरे घर को सजाया है।
हुस्न और खुशबु का सबब हो तुम,
ऐसा खिलता हुआ गुलाब हो तुम,
तुम जैसा हसीन ना होगा इस जहां में,
तमाम हसीनों में लाजवाब हो तुम।
मेरे आंसुओं में तू ही छुपी रहती है,
रोज आंखों से तू ही तो बरसती है,
किसी गुलाब की बेटी है तू शायद,
इसलिए मुरझाकर भी महकती है।