अपनी नियत पर जरा गौर करके बताना,
मोहब्बत कितनी थी, और मतलब कितने थे।
मेरी मासुमीयत पर हंसते हैं, मतलब निकालने वाले,
खुद को बहुत समझदार समझते हैं, ये शहर में रहने वाले।
अपने मतलब के लिये लोग, अक्सर बदल जाते हैं,
वे अपनो को पीछे छोड़ कर, आगे निकल जाते हैं,
कोई मरता भी हो तो उनकी बला से,
वो तो मरे पर कदम रखकर, आगे बढ़ जाते हैं।
स्वयं की कमियों को बताता कोई नहीं,
अपने मतलब के बगैर हाथ मिलाता कोई नहीं,
प्यार से सभी करते हैं आपसे,
मगर किसी का साथ निभाता कोई नहीं।
जिंदगी में खुद को कभी किसी इंसान के आदि मत बनाना,
क्योंकि इंसान केवल अपने मतलब से ही प्यार करता है।
पहले लोग दिलसे बात करते थे,
लेकिन अब मूड और मतलब से बात करते है।
सब मतलब की यारी है,
यही दुनिया की सबसे बड़ी बीमारी है।
सब मतलब की बात समझते हैं,
काश कोई बात का मतलब समझता।
अब आ भी जा फिर ये तन्हाई मिले ना मिले,
तुमसे मिलने की उमंग है, पर डर है जुदाई,
जरा बता दे प्यार का मतलब क्या है,
तू कहे, जब मतलब है तो प्यार कहाँ है।
मतलब का भार, काफी ज्यादा होता है,
तभी तो मतलबी निकलते है, तो रिश्ते हल्के हो जाते हैं।