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साँसों के सिलसिले को न दो ज़िन्दगी का नाम

साँसों के सिलसिले को न दो ज़िन्दगी का नामसाँसों के सिलसिले को न दो ज़िन्दगी का नाम,
जीने के बावजूद भी मर जाते हैं कुछ लोग।

जिंदगी के रथ में लगाम बहुत हैजिंदगी के रथ में लगाम बहुत है,
अपनों के अपनों पर इल्जाम बहुत है।

कुछ इस तरह से गुज़ारी है ज़िन्दगी जैसेकुछ इस तरह से गुज़ारी है ज़िन्दगी जैसे,
तमाम उम्र किसी दूसरे के घर में रहा।

कम से कम मौत से ऐसी मुझे उम्मीद नहींकम से कम मौत से ऐसी मुझे उम्मीद नहीं,
ज़िंदगी तू ने तो धोखे पे धोखा दिया है।

ज़िन्दगी बैठी थी अपने हुस्न पे फूली हुईज़िन्दगी बैठी थी अपने हुस्न पे फूली हुई,
मौत ने आते ही सारा रंग फीका कर दिया।

क्या बेचकर हम खरीदें फुर्सत ऐ जिंदगीक्या बेचकर हम खरीदें फुर्सत, ऐ जिंदगी,
सब कुछ तो गिरवी पड़ा है जिम्मेदारी के बाजार में।

तेरी ही जुस्तजू में जी लिया इक ज़िन्दगी मैंनेतेरी ही जुस्तजू में जी लिया इक ज़िन्दगी मैंने,
गले मुझको लगाकर खत्म साँसों का सफ़र कर दे।

बहुत सा पानी छुपाया है मैंने अपनी पलकों में​बहुत सा पानी छुपाया है मैंने अपनी पलकों में​,
जिंदगी लम्बी बहुत है क्या पता कब प्यास लग जाए​।

क्या लिखूँ अपनी जिंदगी के बारे मेंक्या लिखूँ अपनी जिंदगी के बारे में,
वो लोग ही बिछड़ गए, जो जिंदगी हुआ करते थे।

ऐ मौत तेरे लिए क्या बचेगाऐ मौत तेरे लिए क्या बचेगा,
हमें तो जिंदगी ही दफना रही है।

नफरत सी होने लगी है इस सफ़र से अबनफरत सी होने लगी है इस सफ़र से अब,
ज़िंदगी कहीं तो पहुँचा दे खत्म होने से पहले।

रुलाया ना कर हर बात पर ऐ जिन्दगीरुलाया ना कर हर बात पर ऐ जिन्दगी,
जरुरी नहीं सबकी किस्मत में चुप कराने वाले हों।

इतनी बदसलूकी ना कर ऐ ज़िंदगीइतनी बदसलूकी ना कर, ऐ ज़िंदगी,
हम कौन सा यहाँ बार बार आने वाले है।

ज़िन्दगी कब की खामोश हो गयीज़िन्दगी कब की खामोश हो गयी,
दिल तो बस आदतन धड़कता है।

ज़िन्दगी का फलसफा भी कितना अजीब हैज़िन्दगी का फलसफा भी कितना अजीब है,
शामें कटती नहीं, और साल गुज़रते चले जा रहे है।

मुस्कुराकर हर जख्म सहने की आदत क्या हो गईमुस्कुराकर हर जख्म सहने की आदत क्या हो गई,
जिंदगी तो हर सितम मुझ पर ही आजमाने लगी है।

लेकर आयी है किस मक़ाम पे ये ज़िंदगी मुझेलेकर आयी है किस मक़ाम पे ये ज़िंदगी मुझे,
महसूस हो रही है ख़ुद अपनी कमी मुझे।

छोड़ ये बात कि मिले ज़ख़्म कहाँ से मुझकोछोड़ ये बात कि मिले ज़ख़्म कहाँ से मुझको,
ज़िंदगी इतना बता कितना सफर बाकी है।

जिन्दगी कशमकश-ए-इश्क के आगाज का नामजिन्दगी कशमकश-ए-इश्क के आगाज का नाम,
मौत अंजाम इसी दर्द के अफसाने का।

कुछ आग आरज़ू की उम्मीद का धुआँ कुछकुछ आग आरज़ू की उम्मीद का धुआँ कुछ,
हाँ राख ही तो ठहरा अंजाम जिंदगी का।

जिंदगी की उलझनो को सुलझा रहा हूं मैंजिंदगी की उलझनो को सुलझा रहा हूं मैं,
देख तेरी याद को रफ्ता रफ्ता भुला रहा हूं मै।


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