अपने मतलब के लिये लोग, अक्सर बदल जाते हैं,
वे अपनो को पीछे छोड़ कर, आगे निकल जाते हैं,
कोई मरता भी हो तो उनकी बला से,
वो तो मरे पर कदम रखकर, आगे बढ़ जाते हैं।
सभी एक जैसा ही लिखते हैं,
बस मतलब बदल जाते हैं,
सरकारे वैसे ही चलती हैं,
बस वजीर-ए-आजम बदल जाते हैं।
माना पहुँचती नहीं तुम तक तपिश हमारी,
इसका मतलब ये नहीं है कि सुलगते नहीं हम।
अब कहां दुआओं में वो बरकतें, वो नसीहतें, वो हिदायतें,
अब तो बस जरूरतों के जुलुस हैं, मतलबों के सलाम हैं।
पहले लोग दिलसे बात करते थे,
लेकिन अब मूड और मतलब से बात करते है।
मतलब की इस दुनियां में प्यार बस एक झांसा है,
धोखा तुम्हे भी मिलेगा दोस्त ये मेरा दावा हैं।
न पाने से किसी के है न कुछ खोने से मतलब है,
ये दुनिया है इसे तो कुछ न कुछ होने से मतलब है।
वक्त नहीं है किसी के पास,
जब तक न हो कोई मतलब खास।
जिंदगी में खुद को कभी किसी इंसान के आदि मत बनाना,
क्योंकि इंसान केवल अपने मतलब से ही प्यार करता है।
चलो माना उन तक पहुंचती नहीं तपिश हमारी,
मतलब ये तो नहीं के सुलगते नहीं हैं हम।