वो हर बार अगर चेहरा बदल कर न आया होता,
धोखा मैंने उस शख्स से यूँ न खाया होता,
रहता अगर याद कर मुझे लौट के आती नहीं,
ज़िन्दगी फिर मैंने तुझे यूं न गंवाया होता।
नफरत सी होने लगी है इस सफ़र से अब,
ज़िंदगी कहीं तो पहुँचा दे खत्म होने से पहले।
छोड़ ये बात कि मिले ज़ख़्म कहाँ से मुझको,
ज़िंदगी इतना बता कितना सफर बाकी है।
मैं, मेरी तन्हाई,
मेरे ये गम और मेरे ये हालत,
बहुत कुछ बदल गया मेरी ज़िन्दगी में,
एक तेरे जाने के बाद।
उम्र छोटी है तो क्या,
ज़िंदगी का हर एक मंज़र देखा है,
फरेबी मुस्कुराहटें देखी है,
बगल में खंजर भी देखा है।
वो हर बार अगर चेहरा बदल कर न आया होता,
धोखा मैंने उस शख्स से यूँ न खाया होता,
रहता अगर याद कर मुझे लौट के आती नहीं,
ज़िन्दगी फिर मैंने तुझे यूं न गंवाया होता।
ज़िन्दगी कभी आसान नही होती,
इसे आसान करना पड़ता है,
कुछ नजर अंदाज करके कुछ को बर्दास्त करके।
जिंदगी को अगर बेहतर बनाना है तो,
दर्द को छुपाना होगा और गम में मुस्कुराना सीखना होगा।
कैसे बदलते है लोग,
चंद कागज़ के टुकड़ो ने बता दिया,
अपने परायों की पहचान को आसान बना दिया,
शुक्रिया ऐ ज़िन्दगी जीने का हुनर सिखा दिया।
ए ज़िन्दगी, इतनी ठोकरे देने के लिए शुक्रिया,
चलने का न सही सम्भलने का हुनर तो आया।
शायद यही ज़िंदगी का इम्तिहान होता है,
हर एक शख्स किसी का गुलाम होता है,
कोई ढूंढता है ज़िंदगी भर मंज़िलों को,
कोई पाकर मंज़िलों को भी बेमुकाम होता है।