कैसे बदलते है लोग,
चंद कागज़ के टुकड़ो ने बता दिया,
अपने परायों की पहचान को आसान बना दिया,
शुक्रिया ऐ ज़िन्दगी जीने का हुनर सिखा दिया।
कैसे बदलते है लोग,
चंद कागज़ के टुकड़ो ने बता दिया,
अपने परायों की पहचान को आसान बना दिया,
शुक्रिया ऐ ज़िन्दगी जीने का हुनर सिखा दिया।
ज़िन्दगी कभी आसान नही होती,
इसे आसान करना पड़ता है,
कुछ नजर अंदाज करके कुछ को बर्दास्त करके।
लो आज हमने छोड़ दिया रिश्ता ए उमीद,
लो अब कभी किसी से गिला ना करेगे हम,
पर जिंदगी मे मिल गये इत्तेफ़ाक से
पुछेगे अपना हाल तेरी बेबसी से हम।
तंग आ चुके है कश्मकश ए ज़िंदगी से हम,
ठुकरा न दें जहाँ को कहीं बे दिली से हम,
लो आज हमने छोड़ दिया रिश्ता ए उमीद,
लो अब कभी किसी से गिला ना करेगे हम।
शायद यही ज़िंदगी का इम्तिहान होता है,
हर एक शख्स किसी का गुलाम होता है,
कोई ढूंढता है ज़िंदगी भर मंज़िलों को,
कोई पाकर मंज़िलों को भी बेमुकाम होता है।
मैं, मेरी तन्हाई,
मेरे ये गम और मेरे ये हालत,
बहुत कुछ बदल गया मेरी ज़िन्दगी में,
एक तेरे जाने के बाद।
उजड़े हुए ज़माने की याद दिला कर,
मुझे उदास न कर ऐ ज़िन्दगी,
अब नईं मंज़िलों का पता बता,
जो गुजर गया सो गुजर गया।