कैसे बदलते है लोग,
चंद कागज़ के टुकड़ो ने बता दिया,
अपने परायों की पहचान को आसान बना दिया,
शुक्रिया ऐ ज़िन्दगी जीने का हुनर सिखा दिया।
कुछ आग आरज़ू की, उम्मीद का धुआँ कुछ,
हाँ राख ही तो ठहरा अंजाम ज़िन्दगी का।
कदम कदम पे नया इम्तिहान रखती है,
ज़िन्दगी तू भी मेरा कितना ध्यान रखती है।
लो आज हमने छोड़ दिया रिश्ता ए उमीद,
लो अब कभी किसी से गिला ना करेगे हम,
पर जिंदगी मे मिल गये इत्तेफ़ाक से
पुछेगे अपना हाल तेरी बेबसी से हम।
मैं, मेरी तन्हाई,
मेरे ये गम और मेरे ये हालत,
बहुत कुछ बदल गया मेरी ज़िन्दगी में,
एक तेरे जाने के बाद।
रोज़ दिल में हसरतों को जलता देखकर,
थक चुका हूँ ज़िन्दगी का ये रवैया देखकर।
ज़िन्दगी लोग जिसे मरहम-ए-ग़म जानते है,
जिस तरह हम ने गुज़ारी है वो हम जानते है।
रफ़्तार कुछ इस कदर तेज़ हुई है जिन्दगी की,
कि सुबह का दर्द शाम को पुराना हो जाता है।
वो हर बार अगर चेहरा बदल कर न आया होता,
धोखा मैंने उस शख्स से यूँ न खाया होता,
रहता अगर याद कर मुझे लौट के आती नहीं,
ज़िन्दगी फिर मैंने तुझे यूं न गंवाया होता।
छोड़ ये बात कि मिले ज़ख़्म कहाँ से मुझको,
ज़िंदगी इतना बता कितना सफर बाकी है।