लो आज हमने छोड़ दिया रिश्ता ए उमीद,
लो अब कभी किसी से गिला ना करेगे हम,
पर जिंदगी मे मिल गये इत्तेफ़ाक से
पुछेगे अपना हाल तेरी बेबसी से हम।
कर दिया मैंने भी जिंदगी को ऐसे बर्बाद,
जैसे जिंदगी ने मुझे बर्बाद किया था।
वो हर बार अगर चेहरा बदल कर न आया होता,
धोखा मैंने उस शख्स से यूँ न खाया होता,
रहता अगर याद कर मुझे लौट के आती नहीं,
ज़िन्दगी फिर मैंने तुझे यूं न गंवाया होता।
रोज़ दिल में हसरतों को जलता देखकर,
थक चुका हूँ ज़िन्दगी का ये रवैया देखकर।
कैसे बदलते है लोग,
चंद कागज़ के टुकड़ो ने बता दिया,
अपने परायों की पहचान को आसान बना दिया,
शुक्रिया ऐ ज़िन्दगी जीने का हुनर सिखा दिया।
हजारों ख़ुशियाँ कम है,
एक गम भुलाने के लिए,
एक गम ही काफी है,
जिंदगी भर रुलाने के लिए।
ज़रूरी तो नहीं के शायरी वो ही करे जो इश्क में हो,
ज़िन्दगी भी कुछ ज़ख्म बेमिसाल दिया करती है।
तंग आ चुके है कश्मकश ए ज़िंदगी से हम,
ठुकरा न दें जहाँ को कहीं बे दिली से हम,
लो आज हमने छोड़ दिया रिश्ता ए उमीद,
लो अब कभी किसी से गिला ना करेगे हम।
उजड़े हुए ज़माने की याद दिला कर,
मुझे उदास न कर ऐ ज़िन्दगी,
अब नईं मंज़िलों का पता बता,
जो गुजर गया सो गुजर गया।
कैसे बदलते है लोग,
चंद कागज़ के टुकड़ो ने बता दिया,
अपने परायों की पहचान को आसान बना दिया,
शुक्रिया ऐ ज़िन्दगी जीने का हुनर सिखा दिया।