छोड़ ये बात कि मिले ज़ख़्म कहाँ से मुझको,
ज़िंदगी इतना बता कितना सफर बाकी है।
मंजिलें मुझे छोड़ गयी रास्तों ने संभाल लिया,
जिंदगी तेरी जरूरत नहीं मुझे हादसों ने पाल लिया।
वो हर बार अगर चेहरा बदल कर न आया होता,
धोखा मैंने उस शख्स से यूँ न खाया होता,
रहता अगर याद कर मुझे लौट के आती नहीं,
ज़िन्दगी फिर मैंने तुझे यूं न गंवाया होता।
रोज़ दिल में हसरतों को जलता देखकर,
थक चुका हूँ ज़िन्दगी का ये रवैया देखकर।
कभी ख़िरद कभी दीवानगी ने लूट लिया,
तरह तरह से हमें ज़िंदगी ने लूट लिया।
अब समझ लेता हूँ मीठे लफ़्ज़ों की कड़वाहट,
हो गया है ज़िंदगी का तजुर्बा थोड़ा थोड़ा।
कैसे बदलते है लोग,
चंद कागज़ के टुकड़ो ने बता दिया,
अपने परायों की पहचान को आसान बना दिया,
शुक्रिया ऐ ज़िन्दगी जीने का हुनर सिखा दिया।
अब तो अपनी तबियत भी जुदा लगती है,
सांस लेता हूँ तो ज़ख्मों को हवा लगती है,
कभी राजी तो कभी मुझसे खफा लगती है,
जिंदगी तू ही बता तू मेरी क्या लगती है।
मैं, मेरी तन्हाई,
मेरे ये गम और मेरे ये हालत,
बहुत कुछ बदल गया मेरी ज़िन्दगी में,
एक तेरे जाने के बाद।
हजारों ख़ुशियाँ कम है,
एक गम भुलाने के लिए,
एक गम ही काफी है,
जिंदगी भर रुलाने के लिए।