कदम कदम पे नया इम्तिहान रखती है,
ज़िन्दगी तू भी मेरा कितना ध्यान रखती है।
वो हर बार अगर चेहरा बदल कर न आया होता,
धोखा मैंने उस शख्स से यूँ न खाया होता,
रहता अगर याद कर मुझे लौट के आती नहीं,
ज़िन्दगी फिर मैंने तुझे यूं न गंवाया होता।
कभी ख़िरद कभी दीवानगी ने लूट लिया,
तरह तरह से हमें ज़िंदगी ने लूट लिया।
दुखो के बोझ में ज़िन्दगी कुछ इस तरह डूबे जा रही है,
की मेरी हर एक चाहत, हर एक आस टूटे जा रही है।
मैं, मेरी तन्हाई,
मेरे ये गम और मेरे ये हालत,
बहुत कुछ बदल गया मेरी ज़िन्दगी में,
एक तेरे जाने के बाद।
उजड़े हुए ज़माने की याद दिला कर,
मुझे उदास न कर ऐ ज़िन्दगी,
अब नईं मंज़िलों का पता बता,
जो गुजर गया सो गुजर गया।
कैसे बदलते है लोग,
चंद कागज़ के टुकड़ो ने बता दिया,
अपने परायों की पहचान को आसान बना दिया,
शुक्रिया ऐ ज़िन्दगी जीने का हुनर सिखा दिया।
कैसे बदलते है लोग,
चंद कागज़ के टुकड़ो ने बता दिया,
अपने परायों की पहचान को आसान बना दिया,
शुक्रिया ऐ ज़िन्दगी जीने का हुनर सिखा दिया।
अब तो अपनी तबियत भी जुदा लगती है,
सांस लेता हूँ तो ज़ख्मों को हवा लगती है,
कभी राजी तो कभी मुझसे खफा लगती है,
जिंदगी तू ही बता तू मेरी क्या लगती है।
हजारों ख़ुशियाँ कम है,
एक गम भुलाने के लिए,
एक गम ही काफी है,
जिंदगी भर रुलाने के लिए।