वो हर बार अगर चेहरा बदल कर न आया होता,
तो धोखा उस शख्स से मैं यूँ न खाया होता,
रहता अगर याद कर मुझे लौट के आती नहीं,
ज़िन्दगी फिर मैंने तुझे यूं न गंवाया होता।
थक गया हूँ तेरी नौकरी से ऐ जिन्दगी,
मुनासिब होगा मेरा हिसाब कर दे।
ज़िन्दगी में ख़ुशी नहीं गम पड़ गए,
आँखों से निकले आंसूं भी नम पड़ गए,
वक़्त ही कुछ ऐसा पड़ा यारों कि,
बयां करने के लिए लफ्ज़ ही कम पड़ गए।
कभी आंसू तो कभी ख़ुशी देखी,
हमने अक्सर मजबूरी और बेकसी देखी,
उनकी नाराज़गी को हम क्या समझे,
हमने तो खुद अपनी तकदीर की बेबसी देखी।
कभी ये फिक्र, कभी वो मुसीबत,
जिंदगी क्या यूं ही गुजरने वाली है।
जिंदगी से अपना हर दर्द छुपा लेना,
ख़ुशी ना मिले तो ग़म गले लगा लेना,
कोई अगर कहे मोहब्बत आसान होती है,
तो उसे मेरा टूटा हुआ दिल दिखा देना।
न जाने जिंदगी का ये कैसा दौर है,
इंसान खामोश है,
और ऑनलाइन कितना शोर है।
ऐ ज़िन्दगी इतने भी दर्द न दे कि मैं बिखर जाऊं,
ऐ ज़िन्दगी इतने भी ग़म न दे कि ख़ुशी भूल जाऊं,
ऐ ज़िन्दगी इतने भी आँसू न दे कि मैं हँसना भूल जाऊं,
इतने भी इम्तिहान न ले कि मैं हार के जीना भूल जाऊं।
जितने दिन तक जी गई बस उतनी ही है जिन्दगी,
मिट्टी के गुल्लकों की कोई उम्र नहीं होती।
जो मिला कोई न कोई सबक दे गया,
अपनी ज़िन्दगी में हर कोई गुरु निकला।