जितने दिन तक जी गई बस उतनी ही है जिन्दगी,
मिट्टी के गुल्लकों की कोई उम्र नहीं होती।
ज़िन्दगी में ख़ुशी नहीं गम पड़ गए,
आँखों से निकले आंसूं भी नम पड़ गए,
वक़्त ही कुछ ऐसा पड़ा यारों कि,
बयां करने के लिए लफ्ज़ ही कम पड़ गए।
नज़रों से दूर सही दिल के बहुत पास है तू,
बिखरी हुई इस ज़िन्दगी में मेरे जीने की आस है तू।
वही रंजिशें वही हसरतें,
न ही दर्द ए दिल में कमी हुई,
है अजीब सी मेरी ज़िन्दगी,
न गुज़र सकी न खत्म हुई।
ज़िन्दगी में फूल नहीं काटें मिलते है,
ज़िन्दगी में चाहते नहीं नफरते मिलती है,
हम करे तो क्या करें ज़िन्दगी,
मंजिल आसान नहीं उसमे मुश्किलात भी मिलते है।
न जाने जिंदगी का ये कैसा दौर है,
इंसान खामोश है,
और ऑनलाइन कितना शोर है।
छोटी सी जिंदगी है अरमान बहुत है,
हमदर्द नहीं कोई इंसान बहुत है,
दिल का दर्द सुनाए तो किसको,
जो दिल के करीब है, वो अनजान बहुत है।
हौसले जिंदगी के देखते है,
चलिए कुछ रोज जी के देखते है,
नींद पिछली सदी की जख्मी है,
ख़्वाब अगली सदी के देखते है।
ऐ ज़िन्दगी इतने भी दर्द न दे कि मैं बिखर जाऊं,
ऐ ज़िन्दगी इतने भी ग़म न दे कि ख़ुशी भूल जाऊं,
ऐ ज़िन्दगी इतने भी आँसू न दे कि मैं हँसना भूल जाऊं,
इतने भी इम्तिहान न ले कि मैं हार के जीना भूल जाऊं।
ज़िन्दगी से अपना हर दर्द छुपा लेना,
ख़ुशी ना मिले तो ग़म गले लगा लेना,
कोई अगर कहे मोहब्बत आसान होती है,
तो उसे मेरा टूटा हुआ दिल दिखा देना।
हमारा कोई अपना बन जाता,
बंद आँखों का सपना बन जाता,
ज़िन्दगी के लिए हम अँधेरे बन गए कि,
कहीं अँधेरा ही मेरी ज़िन्दगी का गुनाह न बन जाता।
ज़िंदगी में सारा झगड़ा ही ख्वाहिशों का है,
ना तो किसी को गम चाहिए,
और ना ही किसी को कम चाहिए।
बहुत सा पानी छुपाया है मैंने अपनी पलकों में,
जिंदगी लम्बी बहुत है क्या पता कब प्यास लग जाए।
देखा है मैंने ज़िन्दगी को इतने करीब से,
चेहरे तमाम लगने लगे है अजीब से।
ख़्वाबों से मुझको और न बहला सकेगी,
रहने दे ज़िन्दगी, तेरा जादू उतर गया।
ख़ामोशी से मुसीबत और भी संगीन होती है,
तड़प ऐ दिल तड़पने से ज़रा तस्कीन होती है।
शुक्रिया ज़िन्दगी जीने का हुनर सिखा दिया,
कैसे बदलते हैं लोग चंद कागज़ के टुकड़ो ने बता दिया,
अपने परायों की पहचान को आसान बना दिया,
शुक्रिया ऐ ज़िन्दगी जीने का हुनर सिखा दिया।
वो जिसकी याद मे हमने
खर्च दी जिन्दगी अपनी,
वो शख्श आज मुझको
गरीब कह के चला गया।
बदल जाती है ज़िन्दगी की सच्चाई उस वक़्त,
जब कोई तुम्हारा तुम्हारे सामने तुम्हारा नही होता।
डरते है आग से कही जल न जाये,
डरते है ख्वाब से कहीं टूट न जाये,
लेकिन सबसे ज़्यादा डरते है आपसे,
कहीं आप हमें भूल न जाये।