यूं तो जिंदगी में आवाज़ देने वाले,
ढेरों मिल जाते है,
लेकिन हम ठहरते वहीं है,
जहाँ अपनेपन का एहसास होता है।
मेरे बेजुबा इश्क को गम का तोहफा दे गई,
जिंदगी बन कर आई थी और जिंदगी ही ले गई।
डरते है आग से कही जल न जाये,
डरते है ख्वाब से कहीं टूट न जाये,
लेकिन सबसे ज़्यादा डरते है आपसे,
कहीं आप हमें भूल न जाये।
न जाने जिंदगी का ये कैसा दौर है,
इंसान खामोश है,
और ऑनलाइन कितना शोर है।
मायने ज़िन्दगी के बदल गये अब तो,
कई अपने मेरे बदल गये अब तो,
करते थे बात आँधियों में साथ देने की,
हवा चली और सब मुकर गये अब तो।
ज़िन्दगी से अपना हर दर्द छुपा लेना,
ख़ुशी ना मिले तो ग़म गले लगा लेना,
कोई अगर कहे मोहब्बत आसान होती है,
तो उसे मेरा टूटा हुआ दिल दिखा देना।
समझ में नहीं आता जिन्दगी में उलझन है,
या उलझन ही अपनी बन गई जिन्दगी है।
ज़िन्दगी में फूल नहीं काटें मिलते है,
ज़िन्दगी में चाहते नहीं नफरते मिलती है,
हम करे तो क्या करें ज़िन्दगी,
मंजिल आसान नहीं उसमे मुश्किलात भी मिलते है।
ज़िन्दगी में ख़ुशी नहीं गम पड़ गए,
आँखों से निकले आंसूं भी नम पड़ गए,
वक़्त ही कुछ ऐसा पड़ा यारों कि,
बयां करने के लिए लफ्ज़ ही कम पड़ गए।
वो हर बार अगर चेहरा बदल कर न आया होता,
तो धोखा उस शख्स से मैं यूँ न खाया होता,
रहता अगर याद कर मुझे लौट के आती नहीं,
ज़िन्दगी फिर मैंने तुझे यूं न गंवाया होता।
कभी ये फिक्र, कभी वो मुसीबत,
जिंदगी क्या यूं ही गुजरने वाली है।
हौसले जिंदगी के देखते है,
चलिए कुछ रोज जी के देखते है,
नींद पिछली सदी की जख्मी है,
ख़्वाब अगली सदी के देखते है।
अब तो अपनी तबियत भी जुदा लगती है
सांस लेता हूँ तो ज़ख्मों को हवा लगती है
कभी राजी तो कभी मुझसे खफा लगती है
जिंदगी तू ही बता तू मेरी क्या लगती है।
वो जिसकी याद मे हमने
खर्च दी जिन्दगी अपनी,
वो शख्श आज मुझको
गरीब कह के चला गया।
कभी आंसू तो कभी ख़ुशी देखी,
हमने अक्सर मजबूरी और बेकसी देखी,
उनकी नाराज़गी को हम क्या समझे,
हमने तो खुद अपनी तकदीर की बेबसी देखी।
कुछ तो है जो बदल गया जिन्दगी में मेरी,
अब आइने में चेहरा मेरा हँसता हुआ नज़र नहीं आता।
बदल जाती है ज़िन्दगी की सच्चाई उस वक़्त,
जब कोई तुम्हारा तुम्हारे सामने तुम्हारा नही होता।
ख़्वाबों से मुझको और न बहला सकेगी,
रहने दे ज़िन्दगी, तेरा जादू उतर गया।
वही रंजिशें वही हसरतें,
न ही दर्द ए दिल में कमी हुई,
है अजीब सी मेरी ज़िन्दगी,
न गुज़र सकी न खत्म हुई।
ज़िन्दगी तुझसे हर एक साँस पे समझौता करूँ,
शौक़ जीने का है मुझको मगर इतना तो नहीं,
रूह को दर्द मिला, दर्द को आँखें न मिली,
तुझको महसूस किया है तुझे देखा तो नहीं।