मेरे बेजुबा इश्क को गम का तोहफा दे गई,
जिंदगी बन कर आई थी और जिंदगी ही ले गई।
कभी ये फिक्र, कभी वो मुसीबत,
जिंदगी क्या यूं ही गुजरने वाली है।
मायने ज़िन्दगी के बदल गये अब तो,
कई अपने मेरे बदल गये अब तो,
करते थे बात आँधियों में साथ देने की,
हवा चली और सब मुकर गये अब तो।
कुछ तो है जो बदल गया जिन्दगी में मेरी,
अब आइने में चेहरा मेरा हँसता हुआ नज़र नहीं आता।
पढ़ने वालों की कमी हो गयी है
आज इस ज़माने में,
वरना मेरी ज़िन्दगी का हर पन्ना,
पूरी किताब है।
ज़िन्दगी में फूल नहीं काटें मिलते है,
ज़िन्दगी में चाहते नहीं नफरते मिलती है,
हम करे तो क्या करें ज़िन्दगी,
मंजिल आसान नहीं उसमे मुश्किलात भी मिलते है।
बदल जाती है ज़िन्दगी की सच्चाई उस वक़्त,
जब कोई तुम्हारा तुम्हारे सामने तुम्हारा नही होता।
यूं तो जिंदगी में आवाज़ देने वाले,
ढेरों मिल जाते है,
लेकिन हम ठहरते वहीं है,
जहाँ अपनेपन का एहसास होता है।
ऐ ज़िन्दगी इतने भी दर्द न दे कि मैं बिखर जाऊं,
ऐ ज़िन्दगी इतने भी ग़म न दे कि ख़ुशी भूल जाऊं,
ऐ ज़िन्दगी इतने भी आँसू न दे कि मैं हँसना भूल जाऊं,
इतने भी इम्तिहान न ले कि मैं हार के जीना भूल जाऊं।
ज़िंदगी में सारा झगड़ा ही ख्वाहिशों का है,
ना तो किसी को गम चाहिए,
और ना ही किसी को कम चाहिए।