देखा है मैंने ज़िन्दगी को इतने करीब से,
चेहरे तमाम लगने लगे है अजीब से।
हमारा कोई अपना बन जाता,
बंद आँखों का सपना बन जाता,
ज़िन्दगी के लिए हम अँधेरे बन गए कि,
कहीं अँधेरा ही मेरी ज़िन्दगी का गुनाह न बन जाता।
ख़ामोशी से मुसीबत और भी संगीन होती है,
तड़प ऐ दिल तड़पने से ज़रा तस्कीन होती है।
कभी आंसू तो कभी ख़ुशी देखी,
हमने अक्सर मजबूरी और बेकसी देखी,
उनकी नाराज़गी को हम क्या समझे,
हमने तो खुद अपनी तकदीर की बेबसी देखी।
डरते है आग से कही जल न जाये,
डरते है ख्वाब से कहीं टूट न जाये,
लेकिन सबसे ज़्यादा डरते है आपसे,
कहीं आप हमें भूल न जाये।
जो मिला कोई न कोई सबक दे गया,
अपनी ज़िन्दगी में हर कोई गुरु निकला।
अब तो अपनी तबियत भी जुदा लगती है
सांस लेता हूँ तो ज़ख्मों को हवा लगती है
कभी राजी तो कभी मुझसे खफा लगती है
जिंदगी तू ही बता तू मेरी क्या लगती है।
मेरे बेजुबा इश्क को गम का तोहफा दे गई,
जिंदगी बन कर आई थी और जिंदगी ही ले गई।
बहुत सा पानी छुपाया है मैंने अपनी पलकों में,
जिंदगी लम्बी बहुत है क्या पता कब प्यास लग जाए।
ऐ ज़िन्दगी इतने भी दर्द न दे कि मैं बिखर जाऊं,
ऐ ज़िन्दगी इतने भी ग़म न दे कि ख़ुशी भूल जाऊं,
ऐ ज़िन्दगी इतने भी आँसू न दे कि मैं हँसना भूल जाऊं,
इतने भी इम्तिहान न ले कि मैं हार के जीना भूल जाऊं।
दुनिया में सैकड़ों दर्दमंद मिलते है,
पर काम के लोग चंद मिलते है,
जब मुसीबत का वक़्त आता है,
सब के दरवाजे बंद मिलते है।
थक गया हूँ तेरी नौकरी से ऐ जिन्दगी,
मुनासिब होगा मेरा हिसाब कर दे।
आहिस्ता चल ऐ ज़िंदगी
कुछ क़र्ज़ चुकाने बाकी है,
कुछ दर्द मिटाने बाकी है
कुछ फ़र्ज़ निभाने बाकी है।
कुछ तो है जो बदल गया जिन्दगी में मेरी,
अब आइने में चेहरा मेरा हँसता हुआ नज़र नहीं आता।
तंग आ चुके हैं कशमकश ए ज़िंदगी से हम,
ठुकरा न दें जहाँ को कहीं बे दिली से हम,
लो आज हमने छोड़ दिया रिश्ता ए उमीद,
लो अब कभी किसी से गिला ना करेगे हम।
जितने दिन तक जी गई बस उतनी ही है जिन्दगी,
मिट्टी के गुल्लकों की कोई उम्र नहीं होती।
वो जिसकी याद मे हमने
खर्च दी जिन्दगी अपनी,
वो शख्श आज मुझको
गरीब कह के चला गया।
यूं तो जिंदगी में आवाज़ देने वाले,
ढेरों मिल जाते है,
लेकिन हम ठहरते वहीं है,
जहाँ अपनेपन का एहसास होता है।
हौसले जिंदगी के देखते है,
चलिए कुछ रोज जी के देखते है,
नींद पिछली सदी की जख्मी है,
ख़्वाब अगली सदी के देखते है।
न जाने जिंदगी का ये कैसा दौर है,
इंसान खामोश है,
और ऑनलाइन कितना शोर है।
ज़िंदगी में सारा झगड़ा ही ख्वाहिशों का है,
ना तो किसी को गम चाहिए,
और ना ही किसी को कम चाहिए।
बदल जाती है ज़िन्दगी की सच्चाई उस वक़्त,
जब कोई तुम्हारा तुम्हारे सामने तुम्हारा नही होता।
वो हर बार अगर चेहरा बदल कर न आया होता,
तो धोखा उस शख्स से मैं यूँ न खाया होता,
रहता अगर याद कर मुझे लौट के आती नहीं,
ज़िन्दगी फिर मैंने तुझे यूं न गंवाया होता।
ज़िन्दगी में फूल नहीं काटें मिलते है,
ज़िन्दगी में चाहते नहीं नफरते मिलती है,
हम करे तो क्या करें ज़िन्दगी,
मंजिल आसान नहीं उसमे मुश्किलात भी मिलते है।
ज़िन्दगी में ख़ुशी नहीं गम पड़ गए,
आँखों से निकले आंसूं भी नम पड़ गए,
वक़्त ही कुछ ऐसा पड़ा यारों कि,
बयां करने के लिए लफ्ज़ ही कम पड़ गए।
शुक्रिया ज़िन्दगी जीने का हुनर सिखा दिया,
कैसे बदलते हैं लोग चंद कागज़ के टुकड़ो ने बता दिया,
अपने परायों की पहचान को आसान बना दिया,
शुक्रिया ऐ ज़िन्दगी जीने का हुनर सिखा दिया।
ज़िन्दगी से अपना हर दर्द छुपा लेना,
ख़ुशी ना मिले तो ग़म गले लगा लेना,
कोई अगर कहे मोहब्बत आसान होती है,
तो उसे मेरा टूटा हुआ दिल दिखा देना।
आँखों को अश्क का पता न चलता,
दिल को दर्द का एहसास न होता,
कितना हसीन होता जिंदगी का सफ़र,
अगर मिलकर कभी बिछड़ना न होता।
मायने ज़िन्दगी के बदल गये अब तो,
कई अपने मेरे बदल गये अब तो,
करते थे बात आँधियों में साथ देने की,
हवा चली और सब मुकर गये अब तो।
ज़िन्दगी तुझसे हर एक साँस पे समझौता करूँ,
शौक़ जीने का है मुझको मगर इतना तो नहीं,
रूह को दर्द मिला, दर्द को आँखें न मिली,
तुझको महसूस किया है तुझे देखा तो नहीं।