तेरे जलवों ने मुझे घेर लिया है ऐ दोस्त,
अब तो तन्हाई के लम्हे भी हसीं लगते है।
ये भी शायद ज़िंदगी की इक अदा है दोस्तों,
जिसको कोई मिल गया वो और तन्हा हो गया।
ना जाने क्यूँ खुद को अकेला सा पाया है,
हर एक रिश्ते में खुद को गँवाया है।
शायद कोई तो कमी है मेरे वजूद में,
तभी हर किसी ने हमें यूँ ही ठुकराया है।
गुजर जाती है ज़िन्दगी,
यूँ ही गुजर रहे है पल,
कोई हमसफ़र मिले न मिले,
तू अकेला ही चल।
एक चाहत होती है जनाब,
अपनों के साथ जीने की,
वरना पता तो हमें भी है कि,
ऊपर अकेले ही जाना है।
तन्हाई की रात कट ही जाएगी
इतने भी हम मजबूर नहीं,
दोहरा कर तेरी बातों को
कभी रो लेंगे कभी हँस लेंगे।
पास आकर सभी दूर चले जाते है,
अकेले थे हम, अकेले ही रह जाते है,
इस दिल का दर्द दिखाएँ किसे,
मल्हम लगाने वाले ही जखम दे जाते है।
बात करो रूठे यारों से,
सन्नाटे से डर जाते है,
इश्क़ अकेला जी सकता है,
दोस्त अकेले मर जाते है।
जिंदगी के ज़हर को यूँ हँस के पी रहे है,
तेरे प्यार बिना यूँ ही ज़िन्दगी जी रहे है,
अकेलेपन से तो अब डर नहीं लगता हमें,
तेरे जाने के बाद यूँ ही तन्हा जी रहे है।
ख़ुदा करे कि इस दिल की आवाज़ में
इतना असर हो जाए,
जिसकी याद में तड़प रहे है हम
उसे ख़बर हो जाए।