ये वक्त गुजर रहा है,
तुम भी कुछ पल चुरा लो,
कब तक अकेले रहोगे,
मेरी मानो किसी से तुम भी दिल लगा लो।
जगमगाते शहर की रानाइयों में क्या न था,
ढूँढ़ने निकला था जिसको बस वही चेहरा न था,
हम वही, तुम भी वही, मौसम वही, मंज़र वही,
फ़ासले बढ़ जायेंगे इतने मैंने कभी सोचा न था।
एक झलक तेरी जो आंखों में बस जाती है,
एक हंसी तेरी जो दिल में उतर जाती है,
अकेले में जब भी तेरी याद आती है,
मेरे होंठों पे मुस्कुराहट चली आती है।
रात को जब चाँद सितारे चमकते है,
हम हरदम आपकी याद में तड़पते है,
आप तो चले गए हो छोड़ के हमको,
मगर हम आपसे मिलने को तरसते है।
अकेला हूँ,
मुकम्मल होने की कोई चाह ना बची,
उदास हूं,
संग बैठ हमदर्द बने कोई उम्मीद ना बची।
बीते हुए कुछ दिन ऐसे है
तन्हाई जिन्हें दोहराती है,
रो-रो के गुजरती है रातें
आँखों में सहर हो जाती है।
तन्हाई में चलते चलते
अब पैर लडखडा रहे है,
कभी साथ चलता था कोई,
अब अकेले चलें जा रहे है।
बर्बादियों का हसीन एक मेला हूँ मैं,
सबके रहते हुए भी बहुत अकेला हूँ मैं।
बात करो रूठे यारों से,
सन्नाटे से डर जाते है,
इश्क़ अकेला जी सकता है,
दोस्त अकेले मर जाते है।
तेरे जलवों ने मुझे घेर लिया है ऐ दोस्त,
अब तो तन्हाई के लम्हे भी हसीं लगते है।