एक रात क्या गुजरी तेरी तन्हाई में,
गुजर गयी हजारों बारिशें आँखों से।
क्या लाजवाब था तेरा छोड़ कर जाना,
भरी भरी आँखों से मुस्कराये थे हम,
अब तो सिर्फ मैं हूँ और तेरी यादें है,
गुज़र रहे हैं यूं तन्हाई के मौसम।
गुजर जाती है ज़िन्दगी,
यूँ ही गुजर रहे है पल,
कोई हमसफ़र मिले न मिले,
तू अकेला ही चल।
किसी का कल अकेला था,
किसी का आज अकेला है,
सुर की तलाश है सबको,
यहाँ हर साज़ अकेला है।
मुझको मेरे अकेलेपन से अब शिकायत नहीं है,
मैं पत्थर हूँ मुझे खुद से भी मुहब्बत नहीं है।
पास आकर सभी दूर चले जाते है,
अकेले थे हम, अकेले ही रह जाते है,
इस दिल का दर्द दिखाएँ किसे,
मल्हम लगाने वाले ही जखम दे जाते है।
जब अकेला होता हूँ,
अकसर तुम्हे बुलाता हूँ,
जब तुम नहीं आते हो,
टूटकर यादों में खो जाता हूँ।
अकेला हूँ,
मुकम्मल होने की कोई चाह ना बची,
उदास हूं,
संग बैठ हमदर्द बने कोई उम्मीद ना बची।
जिंदगी के ज़हर को यूँ हँस के पी रहे है,
तेरे प्यार बिना यूँ ही ज़िन्दगी जी रहे है,
अकेलेपन से तो अब डर नहीं लगता हमें,
तेरे जाने के बाद यूँ ही तन्हा जी रहे है।
तुम्हारे बगैर ये वक्त ये दिन और ये रात,
गुजर तो जाते हैं मगर गुजारे नहीं जाते।
कोई तो होगा टूटा हुआ मेरी तरह ही जो,
जुड़ने की ख्वाहिश लिए जी रहा होगा अकेला कही।
ना जाने क्यूँ खुद को अकेला सा पाया है,
हर एक रिश्ते में खुद को गँवाया है।
शायद कोई तो कमी है मेरे वजूद में,
तभी हर किसी ने हमें यूँ ही ठुकराया है।
अकेले आने और अकेले जाने के बीच,
अकेले जीना सीखना ही जिंदगी है।
ज़िन्दगी के ज़हर को यूं है कर पी रहे है,
तेरे प्यार बिना यूं ही ज़िन्दगी जी रहे है,
अकेलेपन से तो डर नहीं लगता हमें
तेरे जाने के बाद यूँ ही तनहा जी रहे है।
यूँ तो हर रंग का मौसम मुझसे वाकिफ है मगर,
रात की तन्हाई मुझे कुछ अलग ही जानती है।
तन्हाई में चलते चलते
अब पैर लडखडा रहे है,
कभी साथ चलता था कोई,
अब अकेले चलें जा रहे है।
ये वक्त गुजर रहा है,
तुम भी कुछ पल चुरा लो,
कब तक अकेले रहोगे,
मेरी मानो किसी से तुम भी दिल लगा लो।
जब तक थी मर्जी तब तक खेला,
फिर तुमने मुझे परे धकेला,
साथ अब मेरे साथ मेरी कलम है,
समझो न मुझको तुम अकेला।
मैं अकेला ही भला हूँ,
किसी औऱ की उम्मीद नहीं करता,
तन्हाई रोज़ खुल कर जीता हूँ,
भीड़ से गुज़रने की जिद नहीं करता।
चले आओ इधर, कभी दो बात कर लेंगे,
जो अकेले है तुम भी, हम साथ कर लेंगे,
कुछ नहीं संबंध जगत, लिपटे नाग चंदन,
उगलो जहर तो हम, अमृत पान कर लेंगे।