बर्बादियों का हसीन एक मेला हूँ मैं,
सबके रहते हुए भी बहुत अकेला हूँ मैं।
रात को जब चाँद सितारे चमकते है,
हम हरदम आपकी याद में तड़पते है,
आप तो चले गए हो छोड़ के हमको,
मगर हम आपसे मिलने को तरसते है।
ख़ुदा करे कि इस दिल की आवाज़ में
इतना असर हो जाए,
जिसकी याद में तड़प रहे है हम
उसे ख़बर हो जाए।
जगमगाते शहर की रानाइयों में क्या न था,
ढूँढ़ने निकला था जिसको बस वही चेहरा न था,
हम वही, तुम भी वही, मौसम वही, मंज़र वही,
फ़ासले बढ़ जायेंगे इतने मैंने कभी सोचा न था।
अकेला हूँ,
मुकम्मल होने की कोई चाह ना बची,
उदास हूं,
संग बैठ हमदर्द बने कोई उम्मीद ना बची।
शाम से आँख में नमी सी है,
आज फिर आप की कमी सी है।
अकेले आने और अकेले जाने के बीच,
अकेले जीना सीखना ही जिंदगी है।
गुजर जाती है ज़िन्दगी,
यूँ ही गुजर रहे है पल,
कोई हमसफ़र मिले न मिले,
तू अकेला ही चल।
ये वक्त गुजर रहा है,
तुम भी कुछ पल चुरा लो,
कब तक अकेले रहोगे,
मेरी मानो किसी से तुम भी दिल लगा लो।
पास आकर सभी दूर चले जाते है,
अकेले थे हम, अकेले ही रह जाते है,
इस दिल का दर्द दिखाएँ किसे,
मल्हम लगाने वाले ही जखम दे जाते है।