एक चाहत होती है जनाब,
अपनों के साथ जीने की,
वरना पता तो हमें भी है कि,
ऊपर अकेले ही जाना है।
क्या लाजवाब था तेरा छोड़ कर जाना,
भरी भरी आँखों से मुस्कराये थे हम,
अब तो सिर्फ मैं हूँ और तेरी यादें है,
गुज़र रहे हैं यूं तन्हाई के मौसम।
तन्हाई की रात कट ही जाएगी
इतने भी हम मजबूर नहीं,
दोहरा कर तेरी बातों को
कभी रो लेंगे कभी हँस लेंगे।
तन्हाई में चलते चलते
अब पैर लडखडा रहे है,
कभी साथ चलता था कोई,
अब अकेले चलें जा रहे है।
अकेला हूँ,
मुकम्मल होने की कोई चाह ना बची,
उदास हूं,
संग बैठ हमदर्द बने कोई उम्मीद ना बची।
एक झलक तेरी जो आंखों में बस जाती है,
एक हंसी तेरी जो दिल में उतर जाती है,
अकेले में जब भी तेरी याद आती है,
मेरे होंठों पे मुस्कुराहट चली आती है।
ना जाने क्यूँ खुद को अकेला सा पाया है,
हर एक रिश्ते में खुद को गँवाया है।
शायद कोई तो कमी है मेरे वजूद में,
तभी हर किसी ने हमें यूँ ही ठुकराया है।
चले आओ इधर, कभी दो बात कर लेंगे,
जो अकेले है तुम भी, हम साथ कर लेंगे,
कुछ नहीं संबंध जगत, लिपटे नाग चंदन,
उगलो जहर तो हम, अमृत पान कर लेंगे।
अकेले रहना भी एक दर्द है,
किसी को पाकर खोना भी एक दर्द है,
छीन लेती है दुनिया उसी चीज को हमसे,
जिसके बिना जीना सबसे बड़ा दर्द है।
पास आकर सभी दूर चले जाते है,
अकेले थे हम, अकेले ही रह जाते है,
इस दिल का दर्द दिखाएँ किसे,
मल्हम लगाने वाले ही जखम दे जाते है।
रात को जब चाँद सितारे चमकते है,
हम हरदम आपकी याद में तड़पते है,
आप तो चले गए हो छोड़ के हमको,
मगर हम आपसे मिलने को तरसते है।
एक चाहत होती है जनाब,
अपनों के साथ जीने की,
वरना पता तो हमें भी है कि,
ऊपर अकेले ही जाना है।