वो सिलसिले वो शौक वो ग़ुरबत न रही,
फिर यूँ हुआ के दर्द में सिद्दत न रही,
अपनी जिंदगी में हो गये मशरूफ वो इतना,
कि हमको याद करने कि फुरसत न रही।
आगोश में ले लो मुझे बहुत अकेला हूँ मैं,
बसा लो दिल की धड़कन में अकेला हूँ मैं,
जो तुम नहीं जिंदगी में तो फिर कुछ नहीं,
समा जाओ मुझ में कि अकेला हूँ मैं।
सहारा लेना ही पड़ता है मुझको दरिया का,
मैं एक कतरा हूँ तनहा तो बह नहीं सकता।
मेरा और उस चाँद का मुकद्दर एक जैसा है,
वो तारों में तन्हा है और मैं हजारों में तन्हा।
एक पल का एहसास बनकर आते हो तुम,
दूसरे ही पल खुवाब बनकर उड़ जाते हो तुम,
जानते हो की लगता है डर तन्हाइयों से,
फिर भी बार बार तनहा छोड़ जाते हो तुम।
कोई तो इन्तहा होगी मेरे प्यार की खुदा,
कब तक देगा तू इस कदर हमें सजा,
निकाल ले तू इस जिस्म से जान मेरी,
या मिला दे मुझको मेरी दिलरुबा।
ना जाने क्यूँ खुद को अकेला सा पाया है,
हर एक रिश्ते में खुद को गँवाया है।
शायद कोई तो कमी है मेरे वजूद में,
तभी हर किसी ने हमें यूँ ही ठुकराया है।
मेरी है वो मिसाल कि जैसे कोई दरख़्त,
चुप-चाप आँधियों में भी तन्हा खड़ा हुआ।
पास आकर सब दूर चले जाते है,
अकेले थे हम, अकेले ही रह जाते है,
इस दिल का दर्द दिखाएँ किसे,
मल्हम लगाने वाले ही जख्म दे जाते है।
ना जाने क्यों खुद को अकेला सा पाया है,
हर एक रिश्ते में खुद को गवाया है,
शायद कोई तो कमी है मेरे वजूद में,
तभी हर किसी ने हमें यूं ही ठुकराया है।
अब मैं अकेले नहीं बैठता कहीं,
बहुत डराती हैं तुम्हारी यादें मुझे अकेले में।
रात की तनहाइयों में बेचैन है हम,
महफ़िल जमी है फिर भी अकेले है हम,
आप हमसे प्यार करें या न करें,
पर आपके बिना बिलकुल अधूरे है हम।
आज की रात जो मेरी तरह तन्हा है,
मैं किसी तरह गुजारूँगा चला जाऊंगा,
तुम परेशाँ न हो बाब-ए-करम-वा न करो,
और कुछ देर पुकारूंगा चला जाऊंगा।
हो सकता है हमने आपको कभी रुला दिया,
आपने तो दुनिया के कहने पर हमें भुला दिया,
हम तो वैसे भी अकेले थे इस दुनियां में,
क्या हुआ अगर आपने एहसास दिला दिया।
न जाने क्यों खुद को अकेला सा पाया है,
हर एक रिश्ते में खुद को गवाया है,
शायद कोई तो कमी है मेरे वजूद में,
तभी हर किसी ने हमे यूँ ही ठुकराया है।
मैं भी तनहा हूँ और तुम भी तन्हा,
वक़्त कुछ साथ गुजारा जाए।
मंजिल भी उसी की थी रास्ता भी उसका था,
एक हम अकेले थे काफिला भी उसका था,
साथ साथ चलने की कसम भी उसी की थी,
और रास्ता बदलने का फैसला भी उसका था।
क्या कहें बिन तेरे ये ज़िन्दगी है कैसी,
दिल को जलाती ये बेबसी है कैसी,
ना कह पाते है ना सह पाते है,
ना जाने तकदीर मैं लिखी ये तन्हाई है कैसी।
इश्क़ खता हम दोनों ने की,
इल्जाम सारे मुझ अकेले पर लगे,
भूल ही गयी हो तुम तो,
हम क्यों तेरी याद में रात भर जगें।
कभी जो वादे करती थी,
ज़िदंगी भर साथ निभाने का,
वो एक पल में रिश्ता तोड़ गई,
मुझे यू बीच रह में अकेला छोड़ गई।