हो सकता है हमने आपको कभी रुला दिया,
आपने तो दुनिया के कहने पर हमें भुला दिया,
हम तो वैसे भी अकेले थे इस दुनियां में,
क्या हुआ अगर आपने एहसास दिला दिया।
माना कि तुम मेरा साथ छोड़ दोगे,
ये भी बता दो की कैसे एहसास छोड़ दोगे,
ऐ राज तुम बिन जिया है, अब तक अकेले,
जो हुई थीं तुमसे कैसे वो हर बात छोड़ दोगे।
मैं भी तनहा हूँ और तुम भी तन्हा,
वक़्त कुछ साथ गुजारा जाए।
हम अंजुमन में सबकी तरफ देखते रहे,
अपनी तरह से कोई हमें अकेला नहीं मिला।
मंजिल भी उसी की थी रास्ता भी उसका था,
एक हम अकेले थे काफिला भी उसका था,
साथ साथ चलने की कसम भी उसी की थी,
और रास्ता बदलने का फैसला भी उसका था।
उतना हसीन फिर कोई लम्हा नहीं मिला,
तेरे जाने के बाद कोई भी तुझ सा नहीं मिला,
सोचा करूं मैं एक दिन खुद से ही गुफ्तगुं,
लेकिन कभी में खुद को तन्हा नहीं मिला।
मेरी तन्हाइयां करती है जिन्हें याद सदा,
उन को भी मेरी ज़रुरत हो ज़रूरी तो नहीं।
कुछ कर गुजरने की चाह में कहाँ-कहाँ से गुजरे,
अकेले ही नजर आये हम जहाँ-जहाँ से गुजरे।
ना जाने क्यों खुद को अकेला सा पाया है,
हर एक रिश्ते में खुद को गवाया है,
शायद कोई तो कमी है मेरे वजूद में,
तभी हर किसी ने हमें यूं ही ठुकराया है।
वो सिलसिले वो शौक वो ग़ुरबत न रही,
फिर यूँ हुआ के दर्द में सिद्दत न रही,
अपनी जिंदगी में हो गये मशरूफ वो इतना,
कि हमको याद करने कि फुरसत न रही।
एक पल का एहसास बनकर आते हो तुम,
दूसरे ही पल खुवाब बनकर उड़ जाते हो तुम,
जानते हो की लगता है डर तन्हाइयों से,
फिर भी बार बार तनहा छोड़ जाते हो तुम।
इक आग तन्हाई की जो सारे बदन में फैल गई,
जिस्म ही सारा जलता हो तो दिल को बचाएँ कैसे।
आगोश में ले लो मुझे बहुत अकेला हूँ मैं,
बसा लो दिल की धड़कन में अकेला हूँ मैं,
जो तुम नहीं जिंदगी में तो फिर कुछ नहीं,
समा जाओ मुझ में कि अकेला हूँ मैं।
ज़िन्दगी के ज़हर को यूँ पी रहे है,
तेरे प्यार के बिना यूँ ज़िन्दगी जी रहे है,
अकेलेपन से तो अब डर नहीं लगता हमें,
तेरे जाने के बाद यूँ ही तन्हा जी रहे है।
अब मैं अकेले नहीं बैठता कहीं,
बहुत डराती हैं तुम्हारी यादें मुझे अकेले में।
रात को जब चाँद सितारे चमकते है,
हम हरदम आपकी याद में तड़पते है,
आप तो चले गए हो छोड़ के हमको,
मगर हम आपसे मिलने को तरसते है।
क्या करेंगे महफिलों में हम बता,
मेरा दिल रहता है काफिलों में अकेला।
मैं किस कदर अकेला जी लेता हूँ,
हंसता रहता हूँ अपने आँसु पी लेता हूँ,
टूटा जो दिल तेरे जाने के बाद,
वो मैं अकेला बैठकर ही सी लेता हूँ।
क्या कहें बिन तेरे ये ज़िन्दगी है कैसी,
दिल को जलाती ये बेबसी है कैसी,
ना कह पाते है ना सह पाते है,
ना जाने तकदीर मैं लिखी ये तन्हाई है कैसी।
मेरी तन्हाई मार डालेगी दे दे कर तानें मुझको,
एक बार आ जाओ इसे तुम खामोश कर दो।
कभी पहलू में आओ तो बताएँगे तुम्हें,
हाल-ए-दिल अपना तमाम सुनाएँगे तुम्हें,
काटी है अकेले कैसे हमने तन्हाई की रातें,
हर उस रात की तड़प दिखाएँगे तुम्हें।