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Home Alone Shayari in Hindi & English Alone Sad Shayari in Hindi - अलोन सैड शायरी इन हिंदी

बिखरी किताबें भीगे पलक और ये तन्हाई

बिखरी किताबें भीगे पलक और ये तन्हाईबिखरी किताबें भीगे पलक और ये तन्हाई,
कहूँ कैसे कि मिला मोहब्बत में कुछ भी नहीं।

ख्वाब बोये थे और अकेलापन काटा हैख्वाब बोये थे और अकेलापन काटा है,
इस मोहब्बत में बहुत घाटा है।

इश्क़ खता हम दोनों ने की इल्जाम सारे मुझ अकेले पर लगेइश्क़ खता हम दोनों ने की,
इल्जाम सारे मुझ अकेले पर लगे,
भूल ही गयी हो तुम तो,
हम क्यों तेरी याद में रात भर जगें।

क्या करेंगे महफिलों में हम बताक्या करेंगे महफिलों में हम बता,
मेरा दिल रहता है काफिलों में अकेला।

उतना हसीन फिर कोई लम्हा नहीं मिलाउतना हसीन फिर कोई लम्हा नहीं मिला,
तेरे जाने के बाद कोई भी तुझ सा नहीं मिला,
सोचा करूं मैं एक दिन खुद से ही गुफ्तगुं,
लेकिन कभी में खुद को तन्हा नहीं मिला।

कैसे गुजरती है मेरी हर एक शाम तुम्हारे बगैरकैसे गुजरती है मेरी हर एक शाम तुम्हारे बगैर,
अगर तुम देख लेते तो कभी तन्हा न छोड़ते मुझे।

एक पल का एहसास बनकर आते हो तुमएक पल का एहसास बनकर आते हो तुम,
दूसरे ही पल खुवाब बनकर उड़ जाते हो तुम,
जानते हो की लगता है डर तन्हाइयों से,
फिर भी बार बार तनहा छोड़ जाते हो तुम।

कभी जो वादे करती थी ज़िदंगी भर साथ निभाने काकभी जो वादे करती थी,
ज़िदंगी भर साथ निभाने का,
वो एक पल में रिश्ता तोड़ गई,
मुझे यू बीच रह में अकेला छोड़ गई।

तन्हाईयाँ कुछ इस तरह से डसने लगी मुझेतन्हाईयाँ कुछ इस तरह से डसने लगी मुझे,
मैं आज अपने पैरों की आहट से डर गया।

क्या हूँ मैं और क्या समझते है सब राज़ नहीं होते बताने वालेक्या हूँ मैं और क्या समझते है,
सब राज़ नहीं होते बताने वाले,
कभी तन्हाइयों में आकर देखना,
कैसे रोते है सबको हंसाने वाले।

जानता पहले से था मैं लेकिन एहसास अब हो रहा हैजानता पहले से था मैं,
लेकिन एहसास अब हो रहा है,
अकेला तो बहुत समय से हूं मैं,
पर महसूस अब हो रहा है।

उसकी आरज़ू अब खो गयी हैउसकी आरज़ू अब खो गयी है,
खामोशियों की आदत सी हो गयी है,
न शिकवा रहा न शिकायत किसी से,
बस एक मोहब्बत है जो इन तन्हाइयों से हो गई है।

रात की तनहाइयों में बेचैन है हमरात की तनहाइयों में बेचैन है हम,
महफ़िल जमी है फिर भी अकेले है हम,
आप हमसे प्यार करें या न करें,
पर आपके बिना बिलकुल अधूरे है हम।

आज की रात जो मेरी तरह तन्हा हैआज की रात जो मेरी तरह तन्हा है,
मैं किसी तरह गुजारूँगा चला जाऊंगा,
तुम परेशाँ न हो बाब-ए-करम-वा न करो,
और कुछ देर पुकारूंगा चला जाऊंगा।

न जाने क्यों खुद को अकेला सा पाया हैन जाने क्यों खुद को अकेला सा पाया है,
हर एक रिश्ते में खुद को गवाया है,
शायद कोई तो कमी है मेरे वजूद में,
तभी हर किसी ने हमे यूँ ही ठुकराया है।

अब मैं अकेले नहीं बैठता कहींअब मैं अकेले नहीं बैठता कहीं,
बहुत डराती हैं तुम्हारी यादें मुझे अकेले में।

मेरी है वो मिसाल कि जैसे कोई दरख़्तमेरी है वो मिसाल कि जैसे कोई दरख़्त,
चुप-चाप आँधियों में भी तन्हा खड़ा हुआ।

ना जाने क्यों खुद को अकेला सा पाया हैना जाने क्यों खुद को अकेला सा पाया है,
हर एक रिश्ते में खुद को गवाया है,
शायद कोई तो कमी है मेरे वजूद में,
तभी हर किसी ने हमें यूं ही ठुकराया है।

माना कि तुम मेरा साथ छोड़ दोगेमाना कि तुम मेरा साथ छोड़ दोगे,
ये भी बता दो की कैसे एहसास छोड़ दोगे,
ऐ राज तुम बिन जिया है, अब तक अकेले,
जो हुई थीं तुमसे कैसे वो हर बात छोड़ दोगे।

ना जाने क्यूँ खुद को अकेला सा पाया हैना जाने क्यूँ खुद को अकेला सा पाया है,
हर एक रिश्ते में खुद को गँवाया है।
शायद कोई तो कमी है मेरे वजूद में,
तभी हर किसी ने हमें यूँ ही ठुकराया है।

इक आग तन्हाई की जो सारे बदन में फैल गईइक आग तन्हाई की जो सारे बदन में फैल गई,
जिस्म ही सारा जलता हो तो दिल को बचाएँ कैसे।


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