माना कि तुम मेरा साथ छोड़ दोगे,
ये भी बता दो की कैसे एहसास छोड़ दोगे,
ऐ राज तुम बिन जिया है, अब तक अकेले,
जो हुई थीं तुमसे कैसे वो हर बात छोड़ दोगे।
उसकी आरज़ू अब खो गयी है,
खामोशियों की आदत सी हो गयी है,
न शिकवा रहा न शिकायत किसी से,
बस एक मोहब्बत है जो इन तन्हाइयों से हो गई है।
उतना हसीन फिर कोई लम्हा नहीं मिला,
तेरे जाने के बाद कोई भी तुझ सा नहीं मिला,
सोचा करूं मैं एक दिन खुद से ही गुफ्तगुं,
लेकिन कभी में खुद को तन्हा नहीं मिला।
बिखरी किताबें भीगे पलक और ये तन्हाई,
कहूँ कैसे कि मिला मोहब्बत में कुछ भी नहीं।
इश्क़ खता हम दोनों ने की,
इल्जाम सारे मुझ अकेले पर लगे,
भूल ही गयी हो तुम तो,
हम क्यों तेरी याद में रात भर जगें।
क्या कहें बिन तेरे ये ज़िन्दगी है कैसी,
दिल को जलाती ये बेबसी है कैसी,
ना कह पाते है ना सह पाते है,
ना जाने तकदीर मैं लिखी ये तन्हाई है कैसी।
ज़िन्दगी के ज़हर को यूँ पी रहे है,
तेरे प्यार के बिना यूँ ज़िन्दगी जी रहे है,
अकेलेपन से तो अब डर नहीं लगता हमें,
तेरे जाने के बाद यूँ ही तन्हा जी रहे है।
कोई तो इन्तहा होगी मेरे प्यार की खुदा,
कब तक देगा तू इस कदर हमें सजा,
निकाल ले तू इस जिस्म से जान मेरी,
या मिला दे मुझको मेरी दिलरुबा।
जानता पहले से था मैं,
लेकिन एहसास अब हो रहा है,
अकेला तो बहुत समय से हूं मैं,
पर महसूस अब हो रहा है।
कैसे गुजरती है मेरी हर एक शाम तुम्हारे बगैर,
अगर तुम देख लेते तो कभी तन्हा न छोड़ते मुझे।