उतना हसीन फिर कोई लम्हा नहीं मिला,
तेरे जाने के बाद कोई भी तुझ सा नहीं मिला,
सोचा करूं मैं एक दिन खुद से ही गुफ्तगुं,
लेकिन कभी में खुद को तन्हा नहीं मिला।
पास आकर सब दूर चले जाते है,
अकेले थे हम, अकेले ही रह जाते है,
इस दिल का दर्द दिखाएँ किसे,
मल्हम लगाने वाले ही जख्म दे जाते है।
मेरी तन्हाइयां करती है जिन्हें याद सदा,
उन को भी मेरी ज़रुरत हो ज़रूरी तो नहीं।
इश्क़ खता हम दोनों ने की,
इल्जाम सारे मुझ अकेले पर लगे,
भूल ही गयी हो तुम तो,
हम क्यों तेरी याद में रात भर जगें।
आगोश में ले लो मुझे बहुत अकेला हूँ मैं,
बसा लो दिल की धड़कन में अकेला हूँ मैं,
जो तुम नहीं जिंदगी में तो फिर कुछ नहीं,
समा जाओ मुझ में कि अकेला हूँ मैं।
कभी जो वादे करती थी,
ज़िदंगी भर साथ निभाने का,
वो एक पल में रिश्ता तोड़ गई,
मुझे यू बीच रह में अकेला छोड़ गई।
मैं किस कदर अकेला जी लेता हूँ,
हंसता रहता हूँ अपने आँसु पी लेता हूँ,
टूटा जो दिल तेरे जाने के बाद,
वो मैं अकेला बैठकर ही सी लेता हूँ।
आज की रात जो मेरी तरह तन्हा है,
मैं किसी तरह गुजारूँगा चला जाऊंगा,
तुम परेशाँ न हो बाब-ए-करम-वा न करो,
और कुछ देर पुकारूंगा चला जाऊंगा।
अब मैं अकेले नहीं बैठता कहीं,
बहुत डराती हैं तुम्हारी यादें मुझे अकेले में।
ख्वाब बोये थे और अकेलापन काटा है,
इस मोहब्बत में बहुत घाटा है।
क्या करेंगे महफिलों में हम बता,
मेरा दिल रहता है काफिलों में अकेला।
उसकी आरज़ू अब खो गयी है,
खामोशियों की आदत सी हो गयी है,
न शिकवा रहा न शिकायत किसी से,
बस एक मोहब्बत है जो इन तन्हाइयों से हो गई है।
मेरा और उस चाँद का मुकद्दर एक जैसा है,
वो तारों में तन्हा है और मैं हजारों में तन्हा।
जानता पहले से था मैं,
लेकिन एहसास अब हो रहा है,
अकेला तो बहुत समय से हूं मैं,
पर महसूस अब हो रहा है।
बिखरी किताबें भीगे पलक और ये तन्हाई,
कहूँ कैसे कि मिला मोहब्बत में कुछ भी नहीं।
ना जाने क्यूँ खुद को अकेला सा पाया है,
हर एक रिश्ते में खुद को गँवाया है।
शायद कोई तो कमी है मेरे वजूद में,
तभी हर किसी ने हमें यूँ ही ठुकराया है।
हम अंजुमन में सबकी तरफ देखते रहे,
अपनी तरह से कोई हमें अकेला नहीं मिला।
ना जाने क्यों खुद को अकेला सा पाया है,
हर एक रिश्ते में खुद को गवाया है,
शायद कोई तो कमी है मेरे वजूद में,
तभी हर किसी ने हमें यूं ही ठुकराया है।
हो सकता है हमने आपको कभी रुला दिया,
आपने तो दुनिया के कहने पर हमें भुला दिया,
हम तो वैसे भी अकेले थे इस दुनियां में,
क्या हुआ अगर आपने एहसास दिला दिया।
कुछ कर गुजरने की चाह में कहाँ-कहाँ से गुजरे,
अकेले ही नजर आये हम जहाँ-जहाँ से गुजरे।
कभी पहलू में आओ तो बताएँगे तुम्हें,
हाल-ए-दिल अपना तमाम सुनाएँगे तुम्हें,
काटी है अकेले कैसे हमने तन्हाई की रातें,
हर उस रात की तड़प दिखाएँगे तुम्हें।