दुनिया की सबसे अच्छी फीलिंग्स तब होती है।
जब दुसरो के लिए हम बिना मतलब जीते है।
स्वयं की कमियों को बताता कोई नहीं,
अपने मतलब के बगैर हाथ मिलाता कोई नहीं,
प्यार से सभी करते हैं आपसे,
मगर किसी का साथ निभाता कोई नहीं।
प्यार का मतलब तो नहीं मालूम मुझे,
मगर जब जब तुझे देखूँ दिल धड़कने लगता है।
किसी के साथ रहना है तो ख़ुशी से रहो,
मज़बूरी से साथ रहने का कोई मतलब नहीं।
कौन किसको दिल में जगह देता हैं,
सूखे पत्तो तो पेड़ भी गिरा देता हैं,
वाकिफ है हम दुनिया के रिवाजो से,
मतलब निकल जाए तो हर कोई भूल जाता हैं।
कभी मतलब के लिए, तो कभी बस दिल्लगी के लिए,
हर कोई इश्क ढूढ रहा है, यहाँ ज़िन्दगी के लिए।
किसे हमदर्द कहें अपना जमाने में,
सबने अपने मतलब का नकाब ओढ रखा है।
सब मतलब की यारी है,
यही दुनिया की सबसे बड़ी बीमारी है।
अपने मतलब के लिये लोग, अक्सर बदल जाते हैं,
वे अपनो को पीछे छोड़ कर, आगे निकल जाते हैं,
कोई मरता भी हो तो उनकी बला से,
वो तो मरे पर कदम रखकर, आगे बढ़ जाते हैं।
अब कहां दुआओं में वो बरकतें, वो नसीहतें, वो हिदायतें,
अब तो बस जरूरतों के जुलुस हैं, मतलबों के सलाम हैं।