चलो माना उन तक पहुंचती नहीं तपिश हमारी,
मतलब ये तो नहीं के सुलगते नहीं हैं हम।
किसे हमदर्द कहें अपना जमाने में,
सबने अपने मतलब का नकाब ओढ रखा है।
मेरे मतलब का शख्स था वो,
अफसोस के वो भी मतलबी निकला।
इस मतलब की दुनिया मे,
कौन किसी का होता है,
वहीं दोस्त धोखा देते है,
जिनपर भरोसा ज़्यादा होता है।
सब मतलब की बात समझते हैं,
काश कोई बात का मतलब समझता।
कदर करलो उनकी जो तुमसे,
बिना मतलब की चाहत करते है,
दुनिया में ख्याल रखने वाले कम,
और तकलीफ देने वाले ज्यादा होते है।
किसी के साथ रहना है तो ख़ुशी से रहो,
मज़बूरी से साथ रहने का कोई मतलब नहीं।
कुछ गैर ऐसे मिले जो मुझे अपना बना गए,
कुछ अपने ऐसे निकले जो गैर का मतलब बता गए।
दिलों में मतलब और जुबान से प्यार करते हैं,
बहुत से लोग दुनिया में यही कारोबार करते हैं।
अपने मतलब के लिये लोग, कितना बदल जाते हैं,
वे अपनों को पीछे धकेल कर, आगे निकल जाते हैं,
कोई मरता भी हो तो उनकी बला से,
वो तो लाशों पर पाँव रखकर, आगे निकल जाते हैं।