आप बस किरदार हैं अपनी हदें पहचानिए,
वर्ना आप भी दिन कहानी से निकाले जाएंगी।
हर दिन एक नकाब पहन कर निकलता है,
वो इंसान, ख़ुद की पहचान से डरता है।
फ़रेबों की दुनिया में मुखौटे पहचानना सीखो,
कभी किसी का फ़रेबों से, भला नहीं हुआ करता,
चाशनी लपेट कर जो तारीफ़ करते हैं तुम्हारी,
असलियत में उनका इरादा, नेक नहीं हुआ करता।
समय-समय पर ठोकरें और धोखे मिलते रहना चाहिये,
इससे अपने और पराये की पहचान होती रहती है।
एक बेहतरीन इंसान अपनी जुबान और कर्मो से ही पहचाना जाता है,
वरना अच्छी बातें तो दीवारों पे भी लिखी होती हैं।
जब से हमें अपने परायों की पहचान हो गई,
तन्हा ही रहता हूँ पूरी दुनिया वीरान हो गई,
हंसी के ठहाके गूंजा करते थे जिन गलियों में,
अब हाल यूं कि सारी सड़के सूनसान हो गई।
जब होगी तेरी जरूरत तुझे पहचानेंगे लोग,
ये शहर है यहां ऐसे ही जान पहचान होती है।
काम करो ऐसा कि पहचान बन जाए,
हर कदम ऐसा चलो कि निशान बन जाए,
यहाँ जिन्दगी तो सभी काट लेते है,
जिन्दगी जियो ऐसे कि मिसाल बन जाए।
सुनो न तुम अजनबी ही अच्छे हो,
जान पहचान अकसर जानलेवा होती है।
अपनी ज़िन्दगी में काम करो ऐसा, के पहचान बन जाये,
इस तरह से चलो के निशान बन जाये,
ज़िन्दगी तो हर कोई काट लिया करता है,
इस तरह से ज़िन्दगी गुजारो के मिसाल बन जाये।