कैसे हो पाएगी अच्छे इंसान की पहचान,
जब दोनों ही नकली हो गये है आँसू और मुस्कान।
आप बस किरदार हैं अपनी हदें पहचानिए,
वर्ना आप भी दिन कहानी से निकाले जाएंगी।
बदलते है रिश्ते हर रोज यहाँ सरेआम,
यहाँ हर रोज बदल जाती है इंसान की पहचान।
जब होगी तेरी जरूरत तुझे पहचानेंगे लोग,
ये शहर है यहां ऐसे ही जान पहचान होती है।
जब से हमें अपने परायों की पहचान हो गई,
तन्हा ही रहता हूँ पूरी दुनिया वीरान हो गई,
हंसी के ठहाके गूंजा करते थे जिन गलियों में,
अब हाल यूं कि सारी सड़के सूनसान हो गई।
अजनबी बने रहने में सुकून है,
ये जान पहचान जान ले लेती है।
चेहरे से सिर्फ इंसान की पहचान होती है,
चेहरे से परख नहीं होती।
लफ़्ज मेरी पहचान बने तो बेहतर है,
चेहरे का क्या वो तो साथ चला जाएगा।
काम करो ऐसा कि पहचान बन जाए,
हर कदम ऐसा चलो कि निशान बन जाए,
यहाँ जिन्दगी तो सभी काट लेते है,
जिन्दगी जियो ऐसे कि मिसाल बन जाए।
बेअदबी पहचान है जिस शख्स की,
वो अदब की अदाकारी सिखाता है।
सुनो न तुम अजनबी ही अच्छे हो,
जान पहचान अकसर जानलेवा होती है।
करनी हो पहचान किसी के दिल के दर्द की,
तो दोस्तों गौर से देखना वे मुस्कुराते बहुत है।
काबिलियत तो इंसान में है इतनी,
कि जन्नत भी झुका दें,
एक बार पहचान ले खुद को,
तो पूरी दुनिया को हिला दें।
दिल में गम, आँखों में नमी,
चेहरे पर उदासी, जिन्दगी में कमी,
बेबसी रूह में और होठो पे मुस्कान,
जालिम, यही तो है मोहब्बत में बर्बाद,
एक तरफ़ा आशिक की पहचान।
अपनी ज़िन्दगी में काम करो ऐसा, के पहचान बन जाये,
इस तरह से चलो के निशान बन जाये,
ज़िन्दगी तो हर कोई काट लिया करता है,
इस तरह से ज़िन्दगी गुजारो के मिसाल बन जाये।
पहचान पाने के खातिर पूरा जीवन लगा दिया,
चंद रूपयों के लालच में ईमान को दांव पर लगा दिया।
एक बेहतरीन इंसान अपनी जुबान और कर्मो से ही पहचाना जाता है,
वरना अच्छी बातें तो दीवारों पे भी लिखी होती हैं।
अपनी पहचान भीड़ में खोकर,
खुद को कमरों में ढूंढ़ते है लोग।
विरासत में दौलत और शोहरत तो मिल जाया करती है,
पर पहचान तो इंसान को खुद ही बनानी पड़ती है।
वैसे तो सभी लोग अच्छे होते है,
पर इंसान की पहचान बुरे वक्त में होती है।