तेरी पहचान भी न खो जाए कहीं,
इतने चेहरे ना बदल थोड़ी सी शोहरत के लिए।
घर से निकलो तो पता जेब में रख कर निकलो,
हादसे इंसान की पहचान तक मिटा देते है।
काबिलियत तो इंसान में है इतनी,
कि जन्नत भी झुका दें,
एक बार पहचान ले खुद को,
तो पूरी दुनिया को हिला दें।
लफ़्ज मेरी पहचान बने तो बेहतर है,
चेहरे का क्या वो तो साथ चला जाएगा।
दिल में गम, आँखों में नमी,
चेहरे पर उदासी, जिन्दगी में कमी,
बेबसी रूह में और होठो पे मुस्कान,
जालिम, यही तो है मोहब्बत में बर्बाद,
एक तरफ़ा आशिक की पहचान।
सुनो न तुम अजनबी ही अच्छे हो,
जान पहचान अकसर जानलेवा होती है।
करनी हो पहचान अगर गमगीन शख्स की,
दोस्तों गौर से देखना वो मुस्कुराते बहुत है।
आप बस किरदार हैं अपनी हदें पहचानिए,
वर्ना आप भी दिन कहानी से निकाले जाएंगी।
फ़रेबों की दुनिया में मुखौटे पहचानना सीखो,
कभी किसी का फ़रेबों से, भला नहीं हुआ करता,
चाशनी लपेट कर जो तारीफ़ करते हैं तुम्हारी,
असलियत में उनका इरादा, नेक नहीं हुआ करता।
समय-समय पर ठोकरें और धोखे मिलते रहना चाहिये,
इससे अपने और पराये की पहचान होती रहती है।
जब होगी तेरी जरूरत तुझे पहचानेंगे लोग,
ये शहर है यहां ऐसे ही जान पहचान होती है।
अपनी पहचान भीड़ में खोकर,
खुद को कमरों में ढूंढ़ते है लोग।
किसी से ज़बर्दस्ती का, प्यार नहीं हुआ करता,
कोई भी ज़बर्दस्ती से, अपना नहीं हुआ करता,
जो दिल के करीब है सिर्फ उसको पहचानो,
कभी दिल के कालों से, रिश्ता नहीं हुआ करता।
हँसता हुआ चेहरा आपकी शान बढ़ाता है मगर,
हँसकर किया हुआ कार्य आपकी पहचान बढ़ाता है।
पहचान पाने के खातिर पूरा जीवन लगा दिया,
चंद रूपयों के लालच में ईमान को दांव पर लगा दिया।
विरासत में दौलत और शोहरत तो मिल जाया करती है,
पर पहचान तो इंसान को खुद ही बनानी पड़ती है।
गुमनामी के अँधेरे में था, पहचान बना दिया,
दुनिया के गम से मुझे, अनजान बना दिया,
उनकी ऐसी कृपा हुई,
गुरू ने मुझे एक अच्छा इंसान बना दिया।
किरदार तो अक्सर नकाब में ही रहता है,
लोग इन्सान की पहचान उसकी अदाकारी से करते हैं।
काम करो ऐसा कि पहचान बन जाए,
हर कदम ऐसा चलो कि निशान बन जाए,
यहाँ जिन्दगी तो सभी काट लेते है,
जिन्दगी जियो ऐसे कि मिसाल बन जाए।
अपनी ज़िन्दगी में काम करो ऐसा, के पहचान बन जाये,
इस तरह से चलो के निशान बन जाये,
ज़िन्दगी तो हर कोई काट लिया करता है,
इस तरह से ज़िन्दगी गुजारो के मिसाल बन जाये।