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Home Insaan Shayari Insaan Ki Pehchan Shayari in Hindi - इंसान की पहचान शायरी इन हिंदी

कुछ अलग करना हो तो भीड़ से हट के चलिए

कुछ अलग करना हो तो भीड़ से हट के चलिएकुछ अलग करना हो तो भीड़ से हट के चलिए,
भीड़ साहस तो देती है मगर पहचान छीन लेती है।

सुनो न तुम अजनबी ही अच्छे हो, जान पहचान अकसर जानलेवा होती है।सुनो न तुम अजनबी ही अच्छे हो,
जान पहचान अकसर जानलेवा होती है।

दिल में गम आँखों में नमीदिल में गम, आँखों में नमी,
चेहरे पर उदासी, जिन्दगी में कमी,
बेबसी रूह में और होठो पे मुस्कान,
जालिम, यही तो है मोहब्बत में बर्बाद,
एक तरफ़ा आशिक की पहचान।

समय समय पर ठोकरें और धोखे मिलते रहना चाहियेसमय-समय पर ठोकरें और धोखे मिलते रहना चाहिये,
इससे अपने और पराये की पहचान होती रहती है।

बड़ी अजीब सी है शहरों की रौशनीबड़ी अजीब सी है शहरों की रौशनी,
उजालों के बावजूद चेहरे पहचानना मुश्किल है।

बेअदबी पहचान है जिस शख्स कीबेअदबी पहचान है जिस शख्स की,
वो अदब की अदाकारी सिखाता है।

जान पहचान बनाने से कुछ मिलता नहीजान-पहचान बनाने से कुछ मिलता नही,
तूफ़ान कितना भी तेज हो पहाड़ हिलता नही।

काबिलियत तो इंसान में है इतनी कि जन्नत भी झुका देंकाबिलियत तो इंसान में है इतनी,
कि जन्नत भी झुका दें,
एक बार पहचान ले खुद को,
तो पूरी दुनिया को हिला दें।

करनी हो पहचान अगर गमगीन शख्स कीकरनी हो पहचान अगर गमगीन शख्स की,
दोस्तों गौर से देखना वो मुस्कुराते बहुत है।

किरदार तो अक्सर नकाब में ही रहता हैकिरदार तो अक्सर नकाब में ही रहता है,
लोग इन्सान की पहचान उसकी अदाकारी से करते हैं।

इंसान की पहचान की शुरूआत चेहरे से होती हैइंसान की पहचान की शुरूआत चेहरे से होती है,
पर उसकी सम्पूर्ण पहचान तो व्यवहार से ही होती है।

गुजारिश हमारी वह मान न सकेगुजारिश हमारी वह मान न सके,
मज़बूरी हमारी वह जान न सके,
कहते हैं मरने के बाद भी याद रखेंगे,
जीते जी जो हमें पहचान न सके।

फ़रेबों की दुनिया में मुखौटे पहचानना सीखोफ़रेबों की दुनिया में मुखौटे पहचानना सीखो,
कभी किसी का फ़रेबों से, भला नहीं हुआ करता,
चाशनी लपेट कर जो तारीफ़ करते हैं तुम्हारी,
असलियत में उनका इरादा, नेक नहीं हुआ करता।

गुमनामी के अँधेरे में था पहचान बना दियागुमनामी के अँधेरे में था, पहचान बना दिया,
दुनिया के गम से मुझे, अनजान बना दिया,
उनकी ऐसी कृपा हुई,
गुरू ने मुझे एक अच्छा इंसान बना दिया।

जिन्दगी में न कोई राह आसान चाहिएजिन्दगी में न कोई राह आसान चाहिए,
न कोई अपनी ख़ास पहचान चाहिए,
बस एक ही दुआ मांगते है रोज भगवान से,
आपके चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान चाहिए।

अपनी पहचान भीड़ में खोकर खुद को कमरों में ढूंढ़ते है लोगअपनी पहचान भीड़ में खोकर,
खुद को कमरों में ढूंढ़ते है लोग।

कैसे हो पाएगी अच्छे इंसान की पहचानकैसे हो पाएगी अच्छे इंसान की पहचान,
जब दोनों ही नकली हो गये है आँसू और मुस्कान।

वैसे तो सभी लोग अच्छे होते हैवैसे तो सभी लोग अच्छे होते है,
पर इंसान की पहचान बुरे वक्त में होती है।

कोई बोलता है तुम हिन्दू बन जाओकोई बोलता है तुम हिन्दू बन जाओ,
कोई बोलता है मुसलमान बन जाओ,
कुछ ऐसा कर जाओ इस जिन्दगी में कि,
हर मजहब की तुम पहचान बन जाओ।

घर से निकलो तो पता जेब में रख कर निकलोघर से निकलो तो पता जेब में रख कर निकलो,
हादसे इंसान की पहचान तक मिटा देते है।

चीज़ों से हो रही है इंसान की पहचानचीज़ों से हो रही है इंसान की पहचान,
औकात अब हमारी बाजार लिख रहे हैं।


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