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Home Insaan Shayari Insaan Ki Pehchan Shayari in Hindi - इंसान की पहचान शायरी इन हिंदी

दिल में गम आँखों में नमी

दिल में गम आँखों में नमीदिल में गम, आँखों में नमी,
चेहरे पर उदासी, जिन्दगी में कमी,
बेबसी रूह में और होठो पे मुस्कान,
जालिम, यही तो है मोहब्बत में बर्बाद,
एक तरफ़ा आशिक की पहचान।

उनकी मोहब्बत के अभी निशान बाकी हैउनकी मोहब्बत के अभी निशान बाकी है,
नाम मेरे लब पर हैं और मेरी जान बाकी है,
क्या हुआ अगर मुझे देखकर फेर लेते हैं अपनी सूरत,
तस्सली है कि उनकी नजर में अभी मेरी पहचान बाकी है।

कैसे हो पाएगी अच्छे इंसान की पहचानकैसे हो पाएगी अच्छे इंसान की पहचान,
जब दोनों ही नकली हो गये है आँसू और मुस्कान।

करनी हो पहचान किसी के दिल के दर्द कीकरनी हो पहचान किसी के दिल के दर्द की,
तो दोस्तों गौर से देखना वे मुस्कुराते बहुत है।

करनी हो पहचान अगर गमगीन शख्स कीकरनी हो पहचान अगर गमगीन शख्स की,
दोस्तों गौर से देखना वो मुस्कुराते बहुत है।

विरासत में दौलत और शोहरत तो मिल जाया करती हैविरासत में दौलत और शोहरत तो मिल जाया करती है,
पर पहचान तो इंसान को खुद ही बनानी पड़ती है।

जिन्दगी में न कोई राह आसान चाहिएजिन्दगी में न कोई राह आसान चाहिए,
न कोई अपनी ख़ास पहचान चाहिए,
बस एक ही दुआ मांगते है रोज भगवान से,
आपके चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान चाहिए।

अजनबी बने रहने में सुकून है ये जान पहचान जान ले लेती हैअजनबी बने रहने में सुकून है,
ये जान पहचान जान ले लेती है।

गुजारिश हमारी वह मान न सकेगुजारिश हमारी वह मान न सके,
मज़बूरी हमारी वह जान न सके,
कहते हैं मरने के बाद भी याद रखेंगे,
जीते जी जो हमें पहचान न सके।

एक बेहतरीन इंसान अपनी जुबान और कर्मो से ही पहचाना जाता हैएक बेहतरीन इंसान अपनी जुबान और कर्मो से ही पहचाना जाता है,
वरना अच्छी बातें तो दीवारों पे भी लिखी होती हैं।

वैसे तो सभी लोग अच्छे होते हैवैसे तो सभी लोग अच्छे होते है,
पर इंसान की पहचान बुरे वक्त में होती है।

कोई बोलता है तुम हिन्दू बन जाओकोई बोलता है तुम हिन्दू बन जाओ,
कोई बोलता है मुसलमान बन जाओ,
कुछ ऐसा कर जाओ इस जिन्दगी में कि,
हर मजहब की तुम पहचान बन जाओ।

चीज़ों से हो रही है इंसान की पहचानचीज़ों से हो रही है इंसान की पहचान,
औकात अब हमारी बाजार लिख रहे हैं।

बदलते है रिश्ते हर रोज यहाँ सरेआमबदलते है रिश्ते हर रोज यहाँ सरेआम,
यहाँ हर रोज बदल जाती है इंसान की पहचान।

समय समय पर ठोकरें और धोखे मिलते रहना चाहियेसमय-समय पर ठोकरें और धोखे मिलते रहना चाहिये,
इससे अपने और पराये की पहचान होती रहती है।

किसी से ज़बर्दस्ती का, प्यार नहीं हुआ करताकिसी से ज़बर्दस्ती का, प्यार नहीं हुआ करता,
कोई भी ज़बर्दस्ती से, अपना नहीं हुआ करता,
जो दिल के करीब है सिर्फ उसको पहचानो,
कभी दिल के कालों से, रिश्ता नहीं हुआ करता।

हँसता हुआ चेहरा आपकी शान बढ़ाता है मगरहँसता हुआ चेहरा आपकी शान बढ़ाता है मगर,
हँसकर किया हुआ कार्य आपकी पहचान बढ़ाता है।

जब से हमें अपने परायों की पहचान हो गईजब से हमें अपने परायों की पहचान हो गई,
तन्हा ही रहता हूँ पूरी दुनिया वीरान हो गई,
हंसी के ठहाके गूंजा करते थे जिन गलियों में,
अब हाल यूं कि सारी सड़के सूनसान हो गई।

बेअदबी पहचान है जिस शख्स कीबेअदबी पहचान है जिस शख्स की,
वो अदब की अदाकारी सिखाता है।

गुमनामी के अँधेरे में था पहचान बना दियागुमनामी के अँधेरे में था, पहचान बना दिया,
दुनिया के गम से मुझे, अनजान बना दिया,
उनकी ऐसी कृपा हुई,
गुरू ने मुझे एक अच्छा इंसान बना दिया।

जान पहचान बनाने से कुछ मिलता नहीजान-पहचान बनाने से कुछ मिलता नही,
तूफ़ान कितना भी तेज हो पहाड़ हिलता नही।


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