जिन्दगी में न कोई राह आसान चाहिए,
न कोई अपनी ख़ास पहचान चाहिए,
बस एक ही दुआ मांगते है रोज भगवान से,
आपके चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान चाहिए।
बदलते है रिश्ते हर रोज यहाँ सरेआम,
यहाँ हर रोज बदल जाती है इंसान की पहचान।
जब होगी तेरी जरूरत तुझे पहचानेंगे लोग,
ये शहर है यहां ऐसे ही जान पहचान होती है।
पहचान पाने के खातिर पूरा जीवन लगा दिया,
चंद रूपयों के लालच में ईमान को दांव पर लगा दिया।
समय-समय पर ठोकरें और धोखे मिलते रहना चाहिये,
इससे अपने और पराये की पहचान होती रहती है।
फ़रेबों की दुनिया में मुखौटे पहचानना सीखो,
कभी किसी का फ़रेबों से, भला नहीं हुआ करता,
चाशनी लपेट कर जो तारीफ़ करते हैं तुम्हारी,
असलियत में उनका इरादा, नेक नहीं हुआ करता।
अपनी ज़िन्दगी में काम करो ऐसा, के पहचान बन जाये,
इस तरह से चलो के निशान बन जाये,
ज़िन्दगी तो हर कोई काट लिया करता है,
इस तरह से ज़िन्दगी गुजारो के मिसाल बन जाये।
काबिलियत तो इंसान में है इतनी,
कि जन्नत भी झुका दें,
एक बार पहचान ले खुद को,
तो पूरी दुनिया को हिला दें।
चेहरे से सिर्फ इंसान की पहचान होती है,
चेहरे से परख नहीं होती।
अपनी पहचान भीड़ में खोकर,
खुद को कमरों में ढूंढ़ते है लोग।
हँसता हुआ चेहरा आपकी शान बढ़ाता है मगर,
हँसकर किया हुआ कार्य आपकी पहचान बढ़ाता है।
जान-पहचान बनाने से कुछ मिलता नही,
तूफ़ान कितना भी तेज हो पहाड़ हिलता नही।
कुछ अलग करना हो तो भीड़ से हट के चलिए,
भीड़ साहस तो देती है मगर पहचान छीन लेती है।
चीज़ों से हो रही है इंसान की पहचान,
औकात अब हमारी बाजार लिख रहे हैं।
करनी हो पहचान अगर गमगीन शख्स की,
दोस्तों गौर से देखना वो मुस्कुराते बहुत है।
एक बेहतरीन इंसान अपनी जुबान और कर्मो से ही पहचाना जाता है,
वरना अच्छी बातें तो दीवारों पे भी लिखी होती हैं।
विरासत में दौलत और शोहरत तो मिल जाया करती है,
पर पहचान तो इंसान को खुद ही बनानी पड़ती है।
कैसे हो पाएगी अच्छे इंसान की पहचान,
जब दोनों ही नकली हो गये है आँसू और मुस्कान।
आप बस किरदार हैं अपनी हदें पहचानिए,
वर्ना आप भी दिन कहानी से निकाले जाएंगी।
जब से हमें अपने परायों की पहचान हो गई,
तन्हा ही रहता हूँ पूरी दुनिया वीरान हो गई,
हंसी के ठहाके गूंजा करते थे जिन गलियों में,
अब हाल यूं कि सारी सड़के सूनसान हो गई।