समय-समय पर ठोकरें और धोखे मिलते रहना चाहिये,
इससे अपने और पराये की पहचान होती रहती है।
इंसान की पहचान की शुरूआत चेहरे से होती है,
पर उसकी सम्पूर्ण पहचान तो व्यवहार से ही होती है।
किसी से ज़बर्दस्ती का, प्यार नहीं हुआ करता,
कोई भी ज़बर्दस्ती से, अपना नहीं हुआ करता,
जो दिल के करीब है सिर्फ उसको पहचानो,
कभी दिल के कालों से, रिश्ता नहीं हुआ करता।
गुजारिश हमारी वह मान न सके,
मज़बूरी हमारी वह जान न सके,
कहते हैं मरने के बाद भी याद रखेंगे,
जीते जी जो हमें पहचान न सके।
वैसे तो सभी लोग अच्छे होते है,
पर इंसान की पहचान बुरे वक्त में होती है।
किरदार तो अक्सर नकाब में ही रहता है,
लोग इन्सान की पहचान उसकी अदाकारी से करते हैं।
दिल में गम, आँखों में नमी,
चेहरे पर उदासी, जिन्दगी में कमी,
बेबसी रूह में और होठो पे मुस्कान,
जालिम, यही तो है मोहब्बत में बर्बाद,
एक तरफ़ा आशिक की पहचान।
जब होगी तेरी जरूरत तुझे पहचानेंगे लोग,
ये शहर है यहां ऐसे ही जान पहचान होती है।
चीज़ों से हो रही है इंसान की पहचान,
औकात अब हमारी बाजार लिख रहे हैं।
विरासत में दौलत और शोहरत तो मिल जाया करती है,
पर पहचान तो इंसान को खुद ही बनानी पड़ती है।
तेरी पहचान भी न खो जाए कहीं,
इतने चेहरे ना बदल थोड़ी सी शोहरत के लिए।
लफ़्ज मेरी पहचान बने तो बेहतर है,
चेहरे का क्या वो तो साथ चला जाएगा।
बड़ी अजीब सी है शहरों की रौशनी,
उजालों के बावजूद चेहरे पहचानना मुश्किल है।
पहचान पाने के खातिर पूरा जीवन लगा दिया,
चंद रूपयों के लालच में ईमान को दांव पर लगा दिया।
उनकी मोहब्बत के अभी निशान बाकी है,
नाम मेरे लब पर हैं और मेरी जान बाकी है,
क्या हुआ अगर मुझे देखकर फेर लेते हैं अपनी सूरत,
तस्सली है कि उनकी नजर में अभी मेरी पहचान बाकी है।
जान-पहचान बनाने से कुछ मिलता नही,
तूफ़ान कितना भी तेज हो पहाड़ हिलता नही।
चेहरे से सिर्फ इंसान की पहचान होती है,
चेहरे से परख नहीं होती।
अजनबी बने रहने में सुकून है,
ये जान पहचान जान ले लेती है।
पहचान की नुमाईश यारों जरा कम करो,
जहाँ भी 'मैं' लिखा है उसे 'हम' करो।
बेअदबी पहचान है जिस शख्स की,
वो अदब की अदाकारी सिखाता है।