नफरत थी हमसे तो इज़हार क्यों किया,
देना था ज़हर तो प्यार क्यों किया,
देकर ज़हर कहते हो पीना ही होगा और,
जब पी गए ज़हर तो कहते हो अब जीना ही होगा।
मैं फना हो गया अफसोस वो बदला भी नहीं,
मेरी चाहतें से भी सच्ची रही नफरत उसकी।
मोहब्बत करो तो हद से ज्यादा,
और नफरत करो तो उससे भी ज्यादा।
एक नफरत ही तो है जिसे दुनिया
चंद लम्हों में जान लेती है,
वर्ना मोहब्बत का यकीन दिलाने में तो
जिंदगी बीत जाती है।
मोहब्बत की तूने वो मिसाल दी है,
मैं नफरतों के सिवा कुछ कर नहीं सकता।
उसकी नफरतो को धार किसने दी,
मोहब्बत के हाथों तलवार किसने दी।
तुझे प्यार भी तेरी औकात से ज्यादा किया था,
अब बात नफरत की है तो नफरत ही सही।
नफ़रत सिखा दी है तुमने मुझको प्यार से,
भरोसा उठ गया है मेरा ऐतबार से।
फूलो के साथ काटें भी मिल जाते है,
खुशी के साथ गम भी मिल जाते हैं,
यह तो मजबूरी हैं हर आशिक़ कि,
वरना प्यार में नफरत कोई जान बुझ कर नहीं करता।
न जाने किस शख़्स का इंतज़ार हमे आज भी है,
सुकून तो बहोत है पर दिल बेक़रार आज भी है,
तुमने हमे नफरतों के सिवा कुछ नहीं दिया लेकिन,
हमें तुम्हारी नफरतों से प्यार आज भी है।