तुझे प्यार भी तेरी औकात से ज्यादा किया था,
अब बात नफरत की है तो नफरत ही सही।
किसी के लिए तो नफरत से भर दे,
भर गया उसका दिल मोहब्बत से।
जीते थे कभी हम भी शान से,
महक उठी थी फिजा किसी के नाम से,
पर गुज़रे हैं हम कुछ ऐसे मुकाम से,
की नफरत सी हो गयी है मोहब्बत के नाम से।
वो नफरतें पाले रहे, हम प्यार निभाते रहे,
लो ये जिंदगी भी कट गयी खाली हाथ सी।
दिलों में गर पली बेजा कोई हसरत नहीं होती,
हम इंसानों को इंसानों से यूँ नफरत नहीं होती।
नफरते लाख मिली पर मोहब्बत ना मिली,
ज़िन्दगी बीत गयी मगर राहत ना मिली।
नफ़रत सिखा दी है तुमने मुझको प्यार से,
भरोसा उठ गया है मेरा ऐतबार से।
न जाने किस शख़्स का इंतज़ार हमे आज भी है,
सुकून तो बहोत है पर दिल बेक़रार आज भी है,
तुमने हमे नफरतों के सिवा कुछ नहीं दिया लेकिन,
हमें तुम्हारी नफरतों से प्यार आज भी है।
उसने नफ़रत से जो देखा है तो याद आया,
कितने रिश्ते उसकी ख़ातिर यूँ ही तोड़ आया हूँ,
कितने धुंधले हैं ये चेहरे जिन्हें अपनाया है,
कितनी उजली थी वो आँखें जिन्हें छोड़ आया हूँ।
उसकी नफरतो को धार किसने दी,
मोहब्बत के हाथों तलवार किसने दी।