बेइंतहा प्यार से भी क्या फ़ायदा,
जो भूलना पड़े किसी को,
तो नफ़रत की हद तक जाना पड़े।
मुझसे नफरत की अजब राह निकली उसने,
हँसता बसता दिल कर दिया खाली उसने,
मेरे घर की रिवायत से वोह खूब था वाकिफ,
जुदाई माँग ली बन के सवाली उसने।
प्यार किया बदनाम हो गए,
चर्चे हमारे सरेआम हो गए,
ज़ालिम ने दिल उस वक़्त तोडा,
जब हम उसके गुलाम हो गए।
ज़िन्दगी से नफरत किसे होती है,
मरने कि चाहत किसे होती है,
प्यार भी एक इतेफा़क होता है,
वरना आँसूओ से मोहब्बत किसे होती है।
धोखा देकर ऐसे चले गए
जैसे कभी जानते ही नहीं थे,
अब ऐसे नफरत जताते हो
जैसे प्यार को मानते ही नहीं थे।
देख के हमें वो सिर झुकाते है,
बुला के महफिल में नजर चुराते है,
नफरत हैं हमसे तो भी कोई बात नहीं,
पर गैरो से मिल के दिल क्यों जलाते हो।
वो इंकार करते है इकरार के लिए,
नफरत करते है तो प्यार के लिए,
उलटी चाल चलते हैं ये इश्क़ वाले,
आँखें बंद करते है दीदार के लिए।
एक नफरत ही तो है जिसे दुनिया
चंद लम्हों में जान लेती है,
वर्ना मोहब्बत का यकीन दिलाने में तो
जिंदगी बीत जाती है।
जीते थे कभी हम भी शान से,
महक उठी थी फिजा किसी के नाम से,
पर गुज़रे हैं हम कुछ ऐसे मुकाम से,
की नफरत सी हो गयी है मोहब्बत के नाम से।
फूलो के साथ काटें भी मिल जाते है,
खुशी के साथ गम भी मिल जाते हैं,
यह तो मजबूरी हैं हर आशिक़ कि,
वरना प्यार में नफरत कोई जान बुझ कर नहीं करता।