एक नफरत ही तो है जिसे दुनिया
चंद लम्हों में जान लेती है,
वर्ना मोहब्बत का यकीन दिलाने में तो
जिंदगी बीत जाती है।
मेरी ज़िन्दगी को एक तमाशा बना दिया उसने,
भरी महफ़िल मे तनहा बिठा दिया उसने,
ऐसी क्या थी नफरत उसको मेरे मासूम दिल से,
खुशिया चुरा कर गम थमा दिया उसने।
नफरत को मुहब्बत की आँखो में देखा,
बेरुखी को उनकी अदाओ में देखा,
आँखें नम हुए और मै रो पड़ा,
जब अपने को गैरों कि बाहो में देखा।
बेइंतहा प्यार से भी क्या फ़ायदा,
जो भूलना पड़े किसी को,
तो नफ़रत की हद तक जाना पड़े।
दिल पर ना मेरे यू वार कीजिए,
छोड़ो ये नफरत थोड़ा प्यार कीजिए,
तड़पते हैं जिस कदर तेरे प्यार में हम,
कभी खुद को भी उस कदर बेक़रार कीजिए।
एक नफरत ही तो है जिसे दुनिया
चंद लम्हों में जान लेती है,
वर्ना मोहब्बत का यकीन दिलाने में तो
जिंदगी बीत जाती है।
नफरत कभी न करना तुम हमसे
ये हम सह नहीं पायेंगे,
एक बार कह देना हमसे ज़रूरत नहीं अब तुम्हारी
तुम्हारी दुनिया से हसकर चले जायेंगे।