मुझसे नफरत की अजब राह निकली उसने,
हँसता बसता दिल कर दिया खाली उसने,
मेरे घर की रिवायत से वोह खूब था वाकिफ,
जुदाई माँग ली बन के सवाली उसने।
एक नफरत ही तो है जिसे दुनिया
चंद लम्हों में जान लेती है,
वर्ना मोहब्बत का यकीन दिलाने में तो
जिंदगी बीत जाती है।
धोखा देकर ऐसे चले गए
जैसे कभी जानते ही नहीं थे,
अब ऐसे नफरत जताते हो
जैसे प्यार को मानते ही नहीं थे।
तूने जो किया गुनाह हम तुझे माफ़ न करेंगे,
अगर मिल भी गए किसी और जनम में
हम तब भी तुझसे नफरत ही करेंगे।
मेरी ज़िन्दगी को एक तमाशा बना दिया उसने,
भरी महफ़िल मे तनहा बिठा दिया उसने,
ऐसी क्या थी नफरत उसको मेरे मासूम दिल से,
खुशिया चुरा कर गम थमा दिया उसने।
किसी के लिए तो नफरत से भर दे,
भर गया उसका दिल मोहब्बत से।
न जाने किस शख़्स का इंतज़ार हमे आज भी है,
सुकून तो बहोत है पर दिल बेक़रार आज भी है,
तुमने हमे नफरतों के सिवा कुछ नहीं दिया लेकिन,
हमें तुम्हारी नफरतों से प्यार आज भी है।
उसने नफ़रत से जो देखा है तो याद आया,
कितने रिश्ते उसकी ख़ातिर यूँ ही तोड़ आया हूँ,
कितने धुंधले हैं ये चेहरे जिन्हें अपनाया है,
कितनी उजली थी वो आँखें जिन्हें छोड़ आया हूँ।
नफरत से होने लगी है मोहब्बत से अब,
ज़िन्दगी कही तो पहुचा दे, खत्म होने से पहले।
ज़िन्दगी से नफरत किसे होती है,
मरने कि चाहत किसे होती है,
प्यार भी एक इतेफा़क होता है,
वरना आँसूओ से मोहब्बत किसे होती है।