कभी किसी ने हमें भी चाहत भरा पैगाम लिखा था,
तन, मन, धन सब हमारे नाम लिखा था,
सुना है अब उन्हें हमारे जिक्र से भी नफ़रत है,
जिसने कभी अपने जिस्म-ओ-जाँ पे हमारा नाम लिखा था।
मैं फना हो गया अफसोस वो बदला भी नहीं,
मेरी चाहतें से भी सच्ची रही नफरत उसकी।
न जाने किस शख़्स का इंतज़ार हमे आज भी है,
सुकून तो बहोत है पर दिल बेक़रार आज भी है,
तुमने हमे नफरतों के सिवा कुछ नहीं दिया लेकिन,
हमें तुम्हारी नफरतों से प्यार आज भी है।
उसकी नफरतो को धार किसने दी,
मोहब्बत के हाथों तलवार किसने दी।
नफरते लाख मिली पर मोहब्बत ना मिली,
ज़िन्दगी बीत गयी मगर राहत ना मिली।
कुछ लोग हमारी नफरत के काबिल भी ना होते,
और हम उन पर अपनी मोहब्बत जाया कर देते है।
उसने नफ़रत से जो देखा है तो याद आया,
कितने रिश्ते उसकी ख़ातिर यूँ ही तोड़ आया हूँ,
कितने धुंधले हैं ये चेहरे जिन्हें अपनाया है,
कितनी उजली थी वो आँखें जिन्हें छोड़ आया हूँ।
तेरी नफरत को मैने प्यार समझ कर अपनाया है,
प्यार से ही नफरत खत्म होता है, तूने ही तो समझाया है।
किसी के लिए तो नफरत से भर दे,
भर गया उसका दिल मोहब्बत से।
तूने जो किया गुनाह हम तुझे माफ़ न करेंगे,
अगर मिल भी गए किसी और जनम में
हम तब भी तुझसे नफरत ही करेंगे।
अजीब सी आदत और गज़ब की फितरत है मेरी,
मोहब्बत हो कि नफरत हो बहुत शिद्दत से करता हू।