बेइंतहा प्यार से भी क्या फ़ायदा,
जो भूलना पड़े किसी को,
तो नफ़रत की हद तक जाना पड़े।
कभी किसी ने हमें भी चाहत भरा पैगाम लिखा था,
तन, मन, धन सब हमारे नाम लिखा था,
सुना है अब उन्हें हमारे जिक्र से भी नफ़रत है,
जिसने कभी अपने जिस्म-ओ-जाँ पे हमारा नाम लिखा था।
नफरत से होने लगी है मोहब्बत से अब,
ज़िन्दगी कही तो पहुचा दे, खत्म होने से पहले।
ज़िन्दगी से नफरत किसे होती है,
मरने कि चाहत किसे होती है,
प्यार भी एक इतेफा़क होता है,
वरना आँसूओ से मोहब्बत किसे होती है।
फूलो के साथ काटें भी मिल जाते है,
खुशी के साथ गम भी मिल जाते हैं,
यह तो मजबूरी हैं हर आशिक़ कि,
वरना प्यार में नफरत कोई जान बुझ कर नहीं करता।
मेरी ज़िन्दगी को एक तमाशा बना दिया उसने,
भरी महफ़िल मे तनहा बिठा दिया उसने,
ऐसी क्या थी नफरत उसको मेरे मासूम दिल से,
खुशिया चुरा कर गम थमा दिया उसने।
ज्यादा कुछ नहीं बदला, उनके और मेरे बीच में,
पहले नफरत नहीं थी, अब मोहब्बत नहीं है।
मुझसे नफरत की अजब राह निकली उसने,
हँसता बसता दिल कर दिया खाली उसने,
मेरे घर की रिवायत से वोह खूब था वाकिफ,
जुदाई माँग ली बन के सवाली उसने।
नफरते लाख मिली पर मोहब्बत ना मिली,
ज़िन्दगी बीत गयी मगर राहत ना मिली।
धोखा देकर ऐसे चले गए
जैसे कभी जानते ही नहीं थे,
अब ऐसे नफरत जताते हो
जैसे प्यार को मानते ही नहीं थे।