जली को आग और बुझी को राख कहते है,
और जिसका status तुम पढ़ रहे हो,
उसे Attitude का बाप कहते है।
सुन बेटा अभी तेरा खेलने का दिन हैं,
दुश्मनी करने का नहीं।
कुछ लोग मिलके कर रहे है मेरी बुराई।
तुम बेटे इतने सारे और मै अकेला मचा रहा हूँ तबाही।
हाथ में खंज़र ही नहीं, आँखों में पानी भी चाहिए।
मुझे दुश्मन भी, थोड़ा खानदानी चाहिए।
कहते है हर बात जुबां से, हम इशारा नहीं करते,
आसमां पर चलने वाले, जमीं से गुज़ारा नहीं करते,
हर हालात बदलने की हिम्मत है हम में,
वक़्त का हर फैसला हम गँवारा नहीं करते।
अच्छी नज़र से देखों तो मुझमे भी संस्कार मिलेंगे,
वरना जुते और लात मिलेंगे।
खेल ताश का हो या जिंदगी का,
अपना इक्का तब ही दिखाना, जब सामने बादशाह हो।
दुनियादारी की चादर ओढ़ी है,
पर जिस दिन दिमाग सटका ना,
इतिहास तो इतिहास, भूगोल भी बदल देंगे।
सनम तेरी नफरत में वो दम नहीं,
जो मेरी चाहत को मिटा दे,
ये महोब्बत है कोई खेल नहीं,
जो आज हंस के खेल और कल रो के भुला दिया।
माँ ने सिखाया चीजो को सही जगह पर रखना,
और बाप ने सिखाया लोगो को उनकी औकात में रखना।