न जाने किस शख़्स का इंतज़ार हमे आज भी है,
सुकून तो बहोत है पर दिल बेक़रार आज भी है,
तुमने हमे नफरतों के सिवा कुछ नहीं दिया लेकिन,
हमें तुम्हारी नफरतों से प्यार आज भी है।
कुछ लोग हमारी नफरत के काबिल भी ना होते,
और हम उन पर अपनी मोहब्बत जाया कर देते है।
नफरत थी हमसे तो इज़हार क्यों किया,
देना था ज़हर तो प्यार क्यों किया,
देकर ज़हर कहते हो पीना ही होगा और,
जब पी गए ज़हर तो कहते हो अब जीना ही होगा।
नफरत कभी न करना तुम हमसे
ये हम सह नहीं पायेंगे,
एक बार कह देना हमसे ज़रूरत नहीं अब तुम्हारी
तुम्हारी दुनिया से हसकर चले जायेंगे।
मेरी ज़िन्दगी को एक तमाशा बना दिया उसने,
भरी महफ़िल मे तनहा बिठा दिया उसने,
ऐसी क्या थी नफरत उसको मेरे मासूम दिल से,
खुशिया चुरा कर गम थमा दिया उसने।
तुझे प्यार भी तेरी औकात से ज्यादा किया था,
अब बात नफरत की है तो नफरत ही सही।
समझ नहीं आता किस पर भरोसा करू,
यहाँ तो लोग नफरत भी करते है प्यार की तरह।
बेइंतहा प्यार से भी क्या फ़ायदा,
जो भूलना पड़े किसी को,
तो नफ़रत की हद तक जाना पड़े।
नफ़रत सिखा दी है तुमने मुझको प्यार से,
भरोसा उठ गया है मेरा ऐतबार से।
नहीं हो तुम हिस्सा अब मेरी हसरत के,
तुम काबिल हो तो सिर्फ नफरत के।