उसने नफ़रत से जो देखा है तो याद आया,
कितने रिश्ते उसकी ख़ातिर यूँ ही तोड़ आया हूँ,
कितने धुंधले हैं ये चेहरे जिन्हें अपनाया है,
कितनी उजली थी वो आँखें जिन्हें छोड़ आया हूँ।
दिल पर ना मेरे यू वार कीजिए,
छोड़ो ये नफरत थोड़ा प्यार कीजिए,
तड़पते हैं जिस कदर तेरे प्यार में हम,
कभी खुद को भी उस कदर बेक़रार कीजिए।
मैं फना हो गया अफसोस वो बदला भी नहीं,
मेरी चाहतें से भी सच्ची रही नफरत उसकी।
दिलों में गर पली बेजा कोई हसरत नहीं होती,
हम इंसानों को इंसानों से यूँ नफरत नहीं होती।
समझ नहीं आता किस पर भरोसा करू,
यहाँ तो लोग नफरत भी करते है प्यार की तरह।
नफरत से होने लगी है मोहब्बत से अब,
ज़िन्दगी कही तो पहुचा दे, खत्म होने से पहले।
मेरी ज़िन्दगी को एक तमाशा बना दिया उसने,
भरी महफ़िल मे तनहा बिठा दिया उसने,
ऐसी क्या थी नफरत उसको मेरे मासूम दिल से,
खुशिया चुरा कर गम थमा दिया उसने।
कभी किसी ने हमें भी चाहत भरा पैगाम लिखा था,
तन, मन, धन सब हमारे नाम लिखा था,
सुना है अब उन्हें हमारे जिक्र से भी नफ़रत है,
जिसने कभी अपने जिस्म-ओ-जाँ पे हमारा नाम लिखा था।
नफरत कभी न करना तुम हमसे
ये हम सह नहीं पायेंगे,
एक बार कह देना हमसे ज़रूरत नहीं अब तुम्हारी
तुम्हारी दुनिया से हसकर चले जायेंगे।
एहसास बदल जाते है बस और कुछ नहीं,
वरना नफरत और मोहब्बत एक ही दिल में होती है।
तेरी नफरत को मैने प्यार समझ कर अपनाया है,
प्यार से ही नफरत खत्म होता है, तूने ही तो समझाया है।