झूठी नफरत को जताना छोड़ दे,
भिगों के खत मेरा जलाना छोड़ दे।
हम से प्यार करो या नफरत
वो तुम्हारे इरादे की बात है,
प्यार करोंगे तो दिल में रहोगे
लेकिन नफरत करोंगे तो दिमाग में।
अगर इतनी ही नफरत है हमसे
तो दिल से कुछ ऐसी दुआ करो,
की आज ही तुम्हारी दुआ भी पूरी हो जाये
और हमारी ज़िन्दगी भी।
नफरत हो दिल में तो मिलने का मजा नहीं आता है,
वो आज भी मिलता हैं पर दिल कही और छोड़ आता है,
सोच-समझ कर नफरत करना,
जिंदगी की गाडी कही रुक न जाये,
और तुम्हारी ये नफरत
कही इसकी वजह न बन जाये।
नफ़रत हो जायेगी तुझे अपने ही किरदार से,
अगर मैं तेरे ही अंदाज में तुझसे बात करुं।
इतनी शिद्दत से तो वो ही नफ़रत कर सकता है,
जिसने उतनी ही शिद्दत से सच्चा प्यार किया हो।
उसने नफ़रत से जो देखा है तो याद आया,
कितने रिश्ते उसकी ख़ातिर यूँ ही तोड़ आया हूँ,
कितने धुंधले हैं ये चेहरे जिन्हें अपनाया है,
कितनी उजली थी वो आँखें जिन्हें छोड़ आया हूँ।
जिसकी अहंकार पुरखो कि कमाई पर पले है,
आज वो हमसे नफरत कि लड़ाई जितने चले है।
न मोहब्बत संभाली गई, न नफरतें पाली गईं,
अफसोस है उस जिंदगी का, जो तेरे पीछे खाली गई।