अपनी रंगीनियों से तुम मुझको दूर ही रखो,
कहीं ऐसा न हो कि मुझको तुमसे नफ़रत सी हो जाए।
मोहब्बत जब नफरत में बदल जाये
तो बहुत कुछ बर्बाद कर देती है,
हर सपना टूट जाता है
और यह कभी ना भरने वाला जख्म देती है।
तेरे हर एक अक्स से नफरत होने लगी,
कुछ इस कदर हमें खुद से मोहब्बत होने लगी।
दुश्मन भी पेश आए है दिलदार की तरह,
नफ़रत मिली है उनसे सच्चे प्यार की तरह,
दुश्मन भी हो गए है मसीहा सिफ़त जमाल,
मिलते है टूट कर वो गले, पुराने यार की तरह।
तूने जो किया गुनाह
हम तुझे माफ़ न करेंगे,
अगर मिल भी गए किसी और जनम में
हम तब भी तुझसे नफरत ही करेंगे।
कुछ इस अदा से निभाना है
किरदार मेरा मुझको,
जिन्हें मुहब्बत ना हो मुझसे वो
नफरत भी ना कर सके।
सोच-समझ कर नफरत करना,
जिंदगी की गाडी कही रुक न जाये,
और तुम्हारी ये नफरत
कही इसकी वजह न बन जाये।
गलत जिंदगी नहीं, गलत लोग है,
नफरत भरी दुनिया नहीं, नफरत भरे लोग है।
किसी को नफरत हैं मुझसे और कोई प्यार कर बैठा,
किसी को यकिन नहीं मेरा और कोई एतवार कर बैठा।
बैठ कर सोचते हैं अब कि क्या खोया क्या पाया,
उनकी नफरत ने तोड़े हैं बहुत मेरी वफा का घर।
मोहब्बत हो या नफरत हो, दिल की बात,
कहीं ना कहीं साफ झलक हीं जाती है।
अगर इतनी ही नफरत है हमसे
तो दिल से कुछ ऐसी दुआ करो,
की आज ही तुम्हारी दुआ भी पूरी हो जाये
और हमारी ज़िन्दगी भी।
नफरत कभी न करना तुम हमसे
ये हम सह नहीं पायेंगे,
एक बार कह देना हमसे ज़रूरत नहीं अब तुम्हारी
तुम्हारी दुनिया से हसकर चले जायेंगे।
न मोहब्बत संभाली गई, न नफरतें पाली गईं,
अफसोस है उस जिंदगी का, जो तेरे पीछे खाली गई।
जब नफरत करते करते थक जाओ,
तब एक मौका प्यार को भी दे देना।
अपनी नफरतों पे मैं इक किताब लिखूँगा,
तेरे सारे ज़ुल्मों का हिसाब लिखूँगा।
कभी उसने भी हमें चाहत का पैगाम लिखा था,
सब कुछ उसने अपना हमारे नाम लिखा था,
सुना है आज उनको हमारे जिक्र से भी नफ़रत है,
जिसने कभी अपने दिल पर हमारा नाम लिखा था।
तुम्हारा नाम अब तक लेता हूँ क्यूंकि,
प्यार है अब तलक,
जिस दिन मेरी जुबां पे तेरा नाम न आये,
समझ जाना कि, नफ़रत हो गयी है तुझसे।
कभी-कभी मोहब्बत का आगाज नफरत से हीं होता है,
क्योंकि हर बार प्यार के आने का अलग अंदाज होता है।
नफरत से होने लगी है इस सफर से अब,
ज़िन्दगी कही तो पहुचा दे खत्म होने से पहले।