खुदा सलामत रखना उन्हें
जो हमसे नफरत करते है,
प्यार ना सही नफरत ही सही
कुछ तो है जो सिर्फ हमसे करते है।
किसी को नफरत हैं मुझसे और कोई प्यार कर बैठा,
किसी को यकिन नहीं मेरा और कोई एतवार कर बैठा।
इतनी शिद्दत से तो वो ही नफ़रत कर सकता है,
जिसने उतनी ही शिद्दत से सच्चा प्यार किया हो।
अगर इतनी ही नफरत है हमसे
तो दिल से कुछ ऐसी दुआ करो,
की आज ही तुम्हारी दुआ भी पूरी हो जाये
और हमारी ज़िन्दगी भी।
झूठी नफरत को जताना छोड़ दे,
भिगों के खत मेरा जलाना छोड़ दे।
नफरत हो दिल में तो मिलने का मजा नहीं आता है,
वो आज भी मिलता हैं पर दिल कही और छोड़ आता है,
दुश्मन भी पेश आए है दिलदार की तरह,
नफ़रत मिली है उनसे सच्चे प्यार की तरह,
दुश्मन भी हो गए है मसीहा सिफ़त जमाल,
मिलते है टूट कर वो गले, पुराने यार की तरह।
जो लोग कहते है कि उन्हें प्यार से बहुत नफरत है,
ये वही लोग है जिन्हें प्यार में सिर्फ नफरत ही मिलती है।
तेरे हर एक अक्स से नफरत होने लगी,
कुछ इस कदर हमें खुद से मोहब्बत होने लगी।
नफरत एक बहुत बड़ा रोग है
इसलिए दुआ है,
जो भी मुझसे नफरत करते है
वो जल्द ही ठीक हो जाये।
मोहब्बत हो या नफरत हो, दिल की बात,
कहीं ना कहीं साफ झलक हीं जाती है।
चला जाऊँगा मैं धुंध के बादल की तरह,
देखते रह जाओगे मुझे पागल की तरह,
जब करते हो मुझसे इतनी नफरत तो क्यों,
सजाते हो आँखो में मुझे काजल की तरह।
बैठ कर सोचते हैं अब कि क्या खोया क्या पाया,
उनकी नफरत ने तोड़े हैं बहुत मेरी वफा का घर।
जब नफरत करते करते थक जाओ,
तब एक मौका प्यार को भी दे देना।
तुम्हारा नाम अब तक लेता हूँ क्यूंकि,
प्यार है अब तलक,
जिस दिन मेरी जुबां पे तेरा नाम न आये,
समझ जाना कि, नफ़रत हो गयी है तुझसे।
कभी उसने भी हमें चाहत का पैगाम लिखा था,
सब कुछ उसने अपना हमारे नाम लिखा था,
सुना है आज उनको हमारे जिक्र से भी नफ़रत है,
जिसने कभी अपने दिल पर हमारा नाम लिखा था।
बैठकर सोचते है कि हमने क्या पाया,
उनकी नफरत ने तोड़े है मेरे कई वफ़ा के घर।
तूने जो किया गुनाह
हम तुझे माफ़ न करेंगे,
अगर मिल भी गए किसी और जनम में
हम तब भी तुझसे नफरत ही करेंगे।
कोई तो वजह होगी
बेवजह कोई नफरत नहीं करता,
हम तो उनके दिल की समझते है
वो हमें समझने की कोशिश नहीं करता।
दिल टुटना लाज़मी था इस शहर में,
जहाँ हर कोई दिल में नफरत लिये चलता है।