चला जाऊँगा मैं धुंध के बादल की तरह,
देखते रह जाओगे मुझे पागल की तरह,
जब करते हो मुझसे इतनी नफरत तो क्यों,
सजाते हो आँखो में मुझे काजल की तरह।
इतनी शिद्दत से तो वो ही नफ़रत कर सकता है,
जिसने उतनी ही शिद्दत से सच्चा प्यार किया हो।
अगर इतनी ही नफरत है हमसे
तो दिल से कुछ ऐसी दुआ करो,
की आज ही तुम्हारी दुआ भी पूरी हो जाये
और हमारी ज़िन्दगी भी।
किसी को नफरत हैं मुझसे और कोई प्यार कर बैठा,
किसी को यकिन नहीं मेरा और कोई एतवार कर बैठा।
सोच-समझ कर नफरत करना,
जिंदगी की गाडी कही रुक न जाये,
और तुम्हारी ये नफरत
कही इसकी वजह न बन जाये।
दुश्मन भी पेश आए है दिलदार की तरह,
नफ़रत मिली है उनसे सच्चे प्यार की तरह,
दुश्मन भी हो गए है मसीहा सिफ़त जमाल,
मिलते है टूट कर वो गले, पुराने यार की तरह।
नफ़रत हो जायेगी तुझे अपने ही किरदार से,
अगर मैं तेरे ही अंदाज में तुझसे बात करुं।
उसने नफ़रत से जो देखा है तो याद आया,
कितने रिश्ते उसकी ख़ातिर यूँ ही तोड़ आया हूँ,
कितने धुंधले हैं ये चेहरे जिन्हें अपनाया है,
कितनी उजली थी वो आँखें जिन्हें छोड़ आया हूँ।
बैठ कर सोचते हैं अब कि क्या खोया क्या पाया,
उनकी नफरत ने तोड़े हैं बहुत मेरी वफा का घर।
नफरत एक बहुत बड़ा रोग है
इसलिए दुआ है,
जो भी मुझसे नफरत करते है
वो जल्द ही ठीक हो जाये।