उसने नफ़रत से जो देखा है तो याद आया,
कितने रिश्ते उसकी ख़ातिर यूँ ही तोड़ आया हूँ,
कितने धुंधले हैं ये चेहरे जिन्हें अपनाया है,
कितनी उजली थी वो आँखें जिन्हें छोड़ आया हूँ।
कोई तो हाल-ए-दिल अपना भी समझेगा,
हर शख्स को नफरत हो जरूरी तो नहीं।
इतनी शिद्दत से तो वो ही नफ़रत कर सकता है,
जिसने उतनी ही शिद्दत से सच्चा प्यार किया हो।
कोई तो वजह होगी
बेवजह कोई नफरत नहीं करता,
हम तो उनके दिल की समझते है
वो हमें समझने की कोशिश नहीं करता।
तेरे हर एक अक्स से नफरत होने लगी,
कुछ इस कदर हमें खुद से मोहब्बत होने लगी।
कभी उसने भी हमें चाहत का पैगाम लिखा था,
सब कुछ उसने अपना हमारे नाम लिखा था,
सुना है आज उनको हमारे जिक्र से भी नफ़रत है,
जिसने कभी अपने दिल पर हमारा नाम लिखा था।
बैठकर सोचते है कि हमने क्या पाया,
उनकी नफरत ने तोड़े है मेरे कई वफ़ा के घर।
नफरत एक बहुत बड़ा रोग है
इसलिए दुआ है,
जो भी मुझसे नफरत करते है
वो जल्द ही ठीक हो जाये।
हम से प्यार करो या नफरत
वो तुम्हारे इरादे की बात है,
प्यार करोंगे तो दिल में रहोगे
लेकिन नफरत करोंगे तो दिमाग में।
गलत जिंदगी नहीं, गलत लोग है,
नफरत भरी दुनिया नहीं, नफरत भरे लोग है।
चला जाऊँगा मैं धुंध के बादल की तरह,
देखते रह जाओगे मुझे पागल की तरह,
जब करते हो मुझसे इतनी नफरत तो क्यों,
सजाते हो आँखो में मुझे काजल की तरह।