खुदा सलामत रखना उन्हें
जो हमसे नफरत करते है,
प्यार ना सही नफरत ही सही
कुछ तो है जो सिर्फ हमसे करते है।
झूठी नफरत को जताना छोड़ दे,
भिगों के खत मेरा जलाना छोड़ दे।
मिलना बिछड़ना सब किस्मत का खेल है,
कभी नफरत तो कभी दिलो का मेल है,
बिक जाता हैं हर रिश्ता दुनियां में,
सिर्फ दोस्ती का यहा नाँट पर सेल है।
अपनी नफरतों पे मैं इक किताब लिखूँगा,
तेरे सारे ज़ुल्मों का हिसाब लिखूँगा।
जब नफरत करते करते थक जाओ,
तब एक मौका प्यार को भी दे देना।
मुझसे नफरत की अजब राह निकली उसने,
हँसता बसता दिल कर दिया खाली उसने,
मेरे घर की रिवायत से वोह खूब था वाकिफ,
जुदाई माँग ली बन के सवाली उसने।
न मोहब्बत संभाली गई, न नफरतें पाली गईं,
अफसोस है उस जिंदगी का, जो तेरे पीछे खाली गई।
मोहब्बत जब नफरत में बदल जाये
तो बहुत कुछ बर्बाद कर देती है,
हर सपना टूट जाता है
और यह कभी ना भरने वाला जख्म देती है।
मोहब्बत हो या नफरत हो, दिल की बात,
कहीं ना कहीं साफ झलक हीं जाती है।
दुश्मन भी पेश आए है दिलदार की तरह,
नफ़रत मिली है उनसे सच्चे प्यार की तरह,
दुश्मन भी हो गए है मसीहा सिफ़त जमाल,
मिलते है टूट कर वो गले, पुराने यार की तरह।
नफरत से होने लगी है इस सफर से अब,
ज़िन्दगी कही तो पहुचा दे खत्म होने से पहले।
बैठ कर सोचते हैं अब कि क्या खोया क्या पाया,
उनकी नफरत ने तोड़े हैं बहुत मेरी वफा का घर।
जिसकी अहंकार पुरखो कि कमाई पर पले है,
आज वो हमसे नफरत कि लड़ाई जितने चले है।
दिल टुटना लाज़मी था इस शहर में,
जहाँ हर कोई दिल में नफरत लिये चलता है।
अपनी रंगीनियों से तुम मुझको दूर ही रखो,
कहीं ऐसा न हो कि मुझको तुमसे नफ़रत सी हो जाए।
बैठकर सोचते है कि हमने क्या पाया,
उनकी नफरत ने तोड़े है मेरे कई वफ़ा के घर।
लेकर के मेरा नाम वो मुझे कोसता है,
नफरत ही सही पर वो मुझे सोचता तो है।
नफ़रत हो जायेगी तुझे अपने ही किरदार से,
अगर मैं तेरे ही अंदाज में तुझसे बात करुं।
किसी को नफरत हैं मुझसे और कोई प्यार कर बैठा,
किसी को यकिन नहीं मेरा और कोई एतवार कर बैठा।
नफरत हो दिल में तो मिलने का मजा नहीं आता है,
वो आज भी मिलता हैं पर दिल कही और छोड़ आता है,
चला जाऊँगा मैं धुंध के बादल की तरह,
देखते रह जाओगे मुझे पागल की तरह,
जब करते हो मुझसे इतनी नफरत तो क्यों,
सजाते हो आँखो में मुझे काजल की तरह।
तुम्हारा नाम अब तक लेता हूँ क्यूंकि,
प्यार है अब तलक,
जिस दिन मेरी जुबां पे तेरा नाम न आये,
समझ जाना कि, नफ़रत हो गयी है तुझसे।
नफरत कभी न करना तुम हमसे
ये हम सह नहीं पायेंगे,
एक बार कह देना हमसे ज़रूरत नहीं अब तुम्हारी
तुम्हारी दुनिया से हसकर चले जायेंगे।
कभी उसने भी हमें चाहत का पैगाम लिखा था,
सब कुछ उसने अपना हमारे नाम लिखा था,
सुना है आज उनको हमारे जिक्र से भी नफ़रत है,
जिसने कभी अपने दिल पर हमारा नाम लिखा था।
सोच-समझ कर नफरत करना,
जिंदगी की गाडी कही रुक न जाये,
और तुम्हारी ये नफरत
कही इसकी वजह न बन जाये।
हम से प्यार करो या नफरत
वो तुम्हारे इरादे की बात है,
प्यार करोंगे तो दिल में रहोगे
लेकिन नफरत करोंगे तो दिमाग में।
उसने नफ़रत से जो देखा है तो याद आया,
कितने रिश्ते उसकी ख़ातिर यूँ ही तोड़ आया हूँ,
कितने धुंधले हैं ये चेहरे जिन्हें अपनाया है,
कितनी उजली थी वो आँखें जिन्हें छोड़ आया हूँ।
तूने जो किया गुनाह
हम तुझे माफ़ न करेंगे,
अगर मिल भी गए किसी और जनम में
हम तब भी तुझसे नफरत ही करेंगे।
अगर इतनी ही नफरत है हमसे
तो दिल से कुछ ऐसी दुआ करो,
की आज ही तुम्हारी दुआ भी पूरी हो जाये
और हमारी ज़िन्दगी भी।
कोई तो वजह होगी
बेवजह कोई नफरत नहीं करता,
हम तो उनके दिल की समझते है
वो हमें समझने की कोशिश नहीं करता।